KNEWS DESK… संसद के विशेष सत्र की आज यानी 18 सितम्बर से शुरूआत हो चुकी है. जोकि यह 22 सितम्बर तक चलेगा. जिसमें आज यानी 18 सितम्बर को मुख्य चुनाव आयुक्त एवं चुनाव आयुक्तों की नियुक्ती से सम्बन्धित विधेयक पर चर्चा होने वाली है. इसे लेकर 9 पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्तों ने पीएम मोदी को एक पत्र लिखा है. जिसमें प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से विधेयक के उस प्रावधान को समाप्त करने की अपील की गई है. जिसमें CEC एवं चुनाव आयुक्तों का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर से घटाकर कैबिनेट सचिव के बराबर करने की बात की गई है.
दरअसल, पीएम मोदी को लिखे गए संयुक्त पत्र में पूर्व मुख्य चुनाव आयुक्त जे. एम. लिंगदोह, टी एस कृष्णमूर्ति, एन गोपालस्वामी, एस वाई कुरैशी, वी एस संपत, एच एस ब्रह्मा, सैयद नसीम जैदी, ओ पी रावत एवं सुशील चंद्र ने कहा है कि दर्जा घटाने के प्रस्ताव से उनके नौकरशाही से स्वतंत्र होने की धारणा पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा. हालांकि पीएम मोदी को लिखे पत्र में पूर्व CEC सुनील अरोड़ा के हस्ताक्षर नहीं हैं. इस पत्र में कहा गया है कि इससे संविधान के अनुच्छेद 325 के साथ एक विसंगति पैदा हो गई है. यह अनुच्छेद सिर्फ महाभियोग के द्वारा CEC को हटाने की बात करता है. ऐसा ही सुप्रीम कोर्ट के जज के लिए भी है. उन्होंने कहा कि भारत के चुनावों, चुनाव आयोग एवं आयुक्तों को पूरे विश्व में समानता की दृष्टि से इसलिए नहीं देखा जाता है. क्योंकि यहां का चुनाव स्वतंत्र एवं निष्पक्ष कराया जाता है, बल्कि इसलिए देखा जाता है क्योंकि यहां चुनाव आयुक्तों का दर्जा सुप्रीम कोर्ट के जजों के बराबर है और चुनाव आयोग सरकार से स्वतंत्र भी है.
विधेयक से नहीं पड़ेगा कोई प्रभाव-केंद्र सरकार
जानकारी के लिए बता दें कि लोकसभा मानसून सत्र में पिछले महीने CEC एवं अन्य चुनाव आयुक्तों से संबंधित बिल पेश किया गया था. जिसमें प्रधानमंत्री, लोकसभा में विपक्ष के नेता एवं एक केंद्रीय मंत्री की गठित समिति द्वारा चुनाव आयोग के 3 सदस्यों की नियुक्ति करने का प्रावधान पेश किया गया था. अब इस विधेयक पर कई विशेषज्ञों, विपक्षी दलों के नेताओं एवं तकरीबन सभी पूर्व CEC ने सवाल उठाए हैं. जिसमें उनका कहना है कि इससे चुनाव आयोग के अधिकार में गिरावट की स्थिति आएगी. हालांकि इस विषय पर सरकार का कहना है कि यह CEC आदेश या 3 शीर्ष EC पदाधिकारियों के वेतन को प्रभावित नहीं करेगा.