KNEWS DESK… द्रौपदी मुर्मू के द्वारा देश की सबसे बड़ी हाईकोर्ट का उद्घाटन किया। जिस दौरान राष्ट्रपति के द्वारा कहा गया कि बहुत लोगों को न्याय नहीं मिलता है । राष्ट्रपति द्रौपदी मु्र्मू ने चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया डीवाई चंद्रचूड़ के हिंदी बोलने पर की जमकर तारीफ।
दरअसल आपको बता दें कि झारखंड में हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन समारोह के दौरान सीजेआई ने हिन्दी में भाषण दिया था। जिस पर राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्म ने खुशी प्रकट करते की। इस दौरान द्रौपदी मुर्म ने सीजेआई की तारीफ भी की। साथ ही साथ राष्ट्रपति ने न्याय तक पहुंच सुनिश्चित करने में भाषण करने में भाषा के महत्व के विषय पर बात की।
जानकारी के लिए बता दें कि द्रौपदी मु्र्मू को रांची में झआरखंड में हाईकोर्ट के नए भवन के उद्घाटन समारोह के अवसर पर बोल रही थी राष्ट्रपति ने इस दौरान मुख्य न्यायधीश को धन्यवाद दिया और न्याय के दरबार में विभिन्न भाषाओं को लेकर चर्चा की । उन्होंने कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कई भाषाओं में काम करने की शुरुआत की है। यह जरूरी भी है। झारखंड के लोग अंग्रेजी के अलावा दूसरी भाषाओं में सहज हैं।
भारत का सबसे बड़ा न्यायिक परिसर
द्रौपदी मु्र्मू ने झारखंड उच्च न्यायालय की जिस बिल्डिंग का उद्घाटन किया, वह पूरे देश में अब तक का सबसे बड़ा न्यायिक परिसर है। 165 एकड़ क्षेत्र में फैले इस परिसर के 72 एकड़ क्षेत्र में उच्च न्यायालय बिल्डिंग सहित वकीलों के लिए आधारभूत संरचना तैयार की गई है।
बहुत लोगों को नहीं मिलता है न्याय
राष्ट्रपति ने उद्घाटन समारोह में कहा कि कई बार कोर्ट के फैसलों के बाद भी लोगों को न्याय नहीं नहीं मिलता। लोग एक-एक केस के लिए वर्षाे तक लड़ाई लड़ते हैं। समय, रुपये और रातों की नींद बर्बाद होती है। कुछ मामले उच्च न्यायालय में फाइनल होते हैं। कुछ मामलों में सुप्रीम कोर्ट में आखिरी फैसला होता है। जिनके पक्ष में फैसला आता है, वे खुश होते हैं, लेकिन पांच-दस साल बाद पता चलता है कि उन्हें न्याय मिला ही नहीं। उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित होना चाहिए कि लोगों को सच में न्याय मिले। यह कैसे होगा, इसका रास्ता तो नहीं पता मुझे। पर सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस, कानून मंत्री, जज, वकील सब मिलकर इसका रास्ता निकालें।
कोर्ट न्याय का मंदिर
द्रौपदी मु्र्मू ने अपने अनुभव को साझा करते हुए कहा कि मैं गांव में एक ऐसी समिति से जुड़ी थी जो यह देखती थी कि कोर्ट के फैसले के बाद परिवार किस हाल में है। उस वक्त पता चला कि जमीनी हकीकत कुछ और ही। कोर्ट में फैसला आने के बाद भी लोगों को न्याय नहीं मिला था। फैसले पर अमल नहीं किया गया था। उन्होंने कहा कि ऐसे कई लोगों की सूची आज भी मेरे पास है, जिसे मैं भारत के प्रमुख न्यायाधीश को भेजूंगी। कोर्ट न्याय का मंदिर है, लोग इसे विश्वास के साथ देखते हैं। कोर्ट के पास यह ताकत है कि वह न्याय दे सके। लोगों को उनके अधिकार दे सकें।
न्याय व्यवस्था को हर नागरिक तक पहुंचाना जरूरी
सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ ने कहा कि न्याय प्रणाली का लक्ष्य सामान्य व्यक्ति को न्याय दिलाना है। देश में आज अनगिनत कचहरियां हैं, जहां महिलाओं के लिए शौचालय भी नहीं है। न्याय व्यवस्था को समाज के हर नागरिक तक पहुंचना होगा। तकनीक के माध्यम से हम अपने कार्य को सामान्य लोगों को जोड़ सकेंगे।
निर्णयों का हिन्दी भाषा में अनुवाद
सीजेआई ने कहा कि सर्वाेच्च न्यायालय के सात साल के मेरे निजी अनुभव में सजा होने से पहले गरीब लोग कई दिनों तक जेल में बंद रहते हैं। अगर न्याय जल्दी नहीं मिले तो उनकी आस्था कैसे बनी रहेगी। जमानत के मामलों में प्रत्यक्ष रूप में हमें इस मामले में हमें ध्यान रखना चाहिए। उन्होंने आगे कहा कि जिला न्यायालय को बराबरी देने की जरूरत है। जिला न्यायालय की गरिमा नागरिकों की गरिमा से जुड़ी है। सर्वाेच्च न्यायालय ने हिंदी भाषा में निर्णयों का अनुवाद किया है। यही उम्मीद उच्च न्यायालय से भी करता हूं। लाइव स्ट्रीम से कोर्ट रूम को हर घर में ले जाना बेहतर है।
जानिए किन-किन ने किया सम्बोधित
हाईकोर्ट भवन के उद्घाटन समारोह को कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन और झारखंड उच्च न्यायालय के चीफ जस्टिस संजय कुमार मिश्र ने भी संबोधित किया।