जानिए आजम खां की विधानसभा सदस्यता वापस मिलने में क्या है सबसे बड़ी अड़चन

KNEWS DESK…  सपा नेता आजम खां को  हेट स्पीच के मामले में सेशन कोर्ट से बरी किए जाने के बाद सबसे बड़ा सवाल उठता है कि जिस मामले में आजम खान की विधानसभा की सदस्यता रद्द हो गई थी क्या अब उनको विधायकी वापस मिल पाएगी।

आपको बता दें कि समाजवादी पार्टी के पूर्व मंत्री आजम खान के लिए राहत भरी खबर आई. नफरती भाषण मामले में आजम खान को कोर्ट ने बरी कर दिया गया है. जिस  नफरती भाषण मामले में आजम खान को 3 साल की सजा हुई थी और उन्होंने अपनी विधायकी भी खो दी थी, उसी केस में रामपुर की सेशन कोर्ट ने बड़ा फैसला सुनाते हुए आजम खान को बरी कर दिया है ।

अब सबसे बड़ा सवाल ये है कि जिस मामले में दोषी होने पर विधायकी चली गई थी, अब उसमें बरी होने पर बहाल कैसे हो सकते हैं। देश में इस तरह का यह पहला मामला है। इस मामले को संज्ञान में लेते हुए सर्वोच्च न्यायालय को अब स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करने चाहिए। उनका मानना है कि  MP  एमएलए  कोर्ट से सजा होने के बाद अपील तक सदस्यता रद्द न होने का प्रावधान लागू होना चाहिए।

सदस्यता बहाल नहीं हो सकती, सुप्रीम कोर्ट को दिशानिर्देश देने चाहिए

इलाहाबाद उच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश रंगनाथ पांडेय का कहना है कि आजम खां को एमपी-एमएलए कोर्ट से सजा होने के बाद उच्च न्यायालय या सर्वोच्च न्यायालय ने सजा पर स्थगन आदेश नहीं दिया था। नतीजन नियमानुसार रामपुर में उप चुनाव कराकर नए विधायक का निर्वाचन हुआ। उनका कहना है कि चूंकि अब वहां चुनाव हो चुका है इसलिए आजम खां की सदस्यता बहाल नहीं हो सकती है। लेकिन अब सेशन कोर्ट ने उन्हें बरी कर दिया है तो साफ है कि वह दोषी नहीं थे। ऐसे मामलों में अब सर्वोच्च न्यायालय को स्पष्ट दिशा निर्देश जारी करने चाहिए कि यदि संबंधित विधायक या सांसद अपील में बरी हो जाते हैं तो उनकी सदस्यता का क्या होगा।

क्या है बीजेपी का रिएक्शन

फैसला आने के बाद बीजेपी प्रवक्ता मनीष शुक्ला ने कहा कि आजम खान को तीन साल की सजा सुनाए जाने के तुरंत बाद उनकी विधायकी चली गई थी, कानून और संविधान की सभी को हक देता है कि वह अपने हक के लिए ऊपरी अदालत में अपील कर सकता है, कानून के मुताबिक सजा मुकर्रर होते ही तुरंत सदस्यता खत्म की जाएगी, सपा को चाहिए की वो पहले कानून को पढ़े उसके बाद अपनी मांग को रखे।

 

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