हर साल होलिका दहन फाल्गुन मास की पूर्णिमा तिथि को सूर्यास्त के बाद किया जाता है। इस साल होलिका दहन 17 मार्च को गुरुवार के दिन किया जाएगा। पूर्णिमा तिथि 17 मार्च 2022 को दोपहर 01:29 बजे से शुरू होकर 18 मार्च दोपहर 12:52 मिनट तक रहेगी, लेकिन 17 मार्च को 01:20 बजे से भद्राकाल शुरू हो जाएगा और देर रात 12:57 बजे तक रहेगा।
बता दे कि, भद्राकाल होने से लोगों के मन में होलिका दहन के समय को लेकर संशय बना हुआ है। शास्त्रों में भद्राकाल को अशुभ समय बताया गया है और इस समय में किसी भी शुभ काम को न करने की हिदायत दी गई है।
शुभ मुहूर्त-
शास्त्रों में भद्राकाल में कोई भी शुभ काम न करने के लिए कहा गया है। भद्राकाल देर रात 12:57 बजे तक रहेगा। ऐसे में देखा जाए तो होलिका दहन का शुभ समय तो 12:57 बजे के बाद ही है। 12:58 बजे से 02:12 बजे तक होलिका दहन किया जा सकता है. इसके बाद ब्रह्म मुहूर्त की शुरुआत हो जाएगी।
लेकिन कुछ ज्योतिष विद्वानों का मत है कि, होलिका दहन रात 09:06 बजे से लेकर 10:16 बजे के बीच भी किया जा सकता है क्योंकि इस समय भद्रा की पूंछ रहेगी. भद्रा की पूंछ में होलिका दहन किया जा सकता है।
होलिका दहन के समय अपनाएं उपाय-
1- होलिका दहन की पूजा के दौरान नारियल के साथ पान और सुपारी अर्पित करें. इससे आपका सोया भाग्य जाग सकता है.
2- घर की नकारात्मकता दूर करने और परिवार के लोगों पर से बलाओं को समाप्त करने के लिए आज के दिन एक नारियल लें. इसे अपने और परिवार के लोगों पर सात बार वार लें. होलिका दहन की अग्नि में इस नारियल को डाल दें और सात बार होलिका की परिक्रमा करके मिठाई का भोग लगाएं.
3- आज के दिन गरीबों और जरूरतमंदों को सामर्थ्य के अनुसार दान दें. इससे आपके तमाम संकट कट जाते हैं.
भूल से ना करे होलिका दहन के दौरान ये गलतियां-
1- नवविवाहिता को होलिका दहन की अग्नि नहीं देखनी चाहिए. इसे जलते शरीर का प्रतीक माना जाता है. मान्यता है कि इससे उनके नए वैवाहिक जीवन में समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
2- होलिका दहन में के लिए पीपल, बरगद, आंवला, शमी या आम की लकड़ियों का इस्तेमाल कभी नहीं करना चाहिए. ये पेड़ दैवीय माने गए हैं. इसकी जगह आप गूलर या अरंड के पेड़ की लकड़ी या उपलों का इस्तेमाल कर सकते हैं. इसके अलावा किसी भी सूखी लकड़ी का इस्तेमाल कर सकते हैं।
3- आज के दिन किसी भी व्यक्ति को धन उधार न दें. ऐसा करने से घर में बरकत पर असर पड़ता है और पूरे साल आर्थिक समस्याएं बनी रहती हैं।
4- अगर आप अपने माता पिता की इकलौती संतान हैं, तो होलिका दहन की अग्नि को प्रज्जवलित करने से परहेज करें।