KNEWS DESK- विपक्षी गठबंधन इंडिया ने साथ में लोकसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है लेकिन अभी भी सीटों पर बंटवारे को लेकर सहमति नहीं हो पा रही है। जानकारी के अनुसार 5 राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही इसका फैसला होगा।
केजरीवाल के फॉर्मूले पर नहीं बनी बात
आपको बता दें कि दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल चाहते थे कि 30 सितंबर तक सीटों का बंटवारा हो जाए लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। मिली जानकारी के अनुसार, मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान, तेलंगाना समेत 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव होने वाले हैं और इन राज्यों के चुनाव होने के बाद ही गठबंधन में सीटों का बंटवारा किया जाएगा।
सीट बंटवारा गठबंधन के लिए बड़ी चुनौती
विपक्षी दल भले ही एक गठबंधन के नीचे एक-साथ आ गए हैं। मगर उनके लिए सबसे बड़ी चुनौती सीट बंटवारा ही है। हर दल की एक ही ख्वाहिश है कि उसे ज्यादा से ज्यादा सीटें मिल जाएं। कांग्रेस का इरादा है कि वह इस गठबंधन का नेतृत्व करें इसलिए वह उन राज्यों में ज्यादा सीटें देने को इच्छुक नजर नहीं आ रही है, जहां उसकी सरकार है। कांग्रेस ने पहले ही इस बात की ओर इशारा किया था वह पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही सीट बंटवारे पर बात करेगी।
इन राज्यों में होना है विधानसभा चुनाव
आपको बता दें कि मध्यप्रदेश, छत्तीसगढ़, तेलंगाना, मिजोरम, राजस्थान में विधानसभा चुनाव होने हैं। खास बात ये है कि इन चुनावों को लोकसभा चुनाव से पहले सेमीफाइनल के तौर पर देखा जा रहा है। माना जा रहा है कि इन पांच विधानसभा चुनावों में विपक्षी गठबंधन के दलों का जैसा प्रदर्शन रहेगा, उसके आधार पर ही उन्हें लोकसभा चुनाव के लिए सीटें दी जाएंगी। जिस पार्टी को यहां ज्यादा सीटें मिलेंगी, उसे ही लोकसभा चुनाव के लिए ज्यादा सीटें दी जाएंगी।
350 सीटों पर लड़ना चाहती है कांग्रेस
हाल ही में हैदराबाद में कांग्रेस वर्किंग कमिटी की बैठक हुई। इस बैठक में सीट बंटवारा किस आधार पर किया जाएगा, उस फॉर्मूले पर चर्चा की गई। कांग्रेस चाहती है कि उसे सीट बंटवारे में ज्यादा से ज्यादा सीटें मिलें। कांग्रेस इस बात का इशारा कर चुकी है कि वह 350 सीटों पर चुनाव लड़ना चाहती है हालांकि, विपक्षी दल नहीं चाहते हैं कि कांग्रेस को इतनी ज्यादा सीटें दी जाएं। उन्हें लगता है कि अगर कांग्रेस को इतनी सीटें मिलेंगी, तो उनकी हिस्सेदारी कम हो जाएंगी।
टीएमसी और आम आदमी पार्टी जैसी पार्टियां हैं, जिनका कहना है कि वह किसी भी हाल में ज्यादा सीटें नहीं देना चाहती हैं। उनका कहना है कि जो दल जिस राज्य में मजूबत हैं, उन्हें वहां ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ना चाहिए। कुल मिलाकर उनका कहना है कि अगर वे पंजाब या पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में मजबूत हैं, तो उन्हें ज्यादा सीटों पर लड़ने का मौका मिलना चाहिए। खैर अब तो पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बाद ही ये तय हो पाएगा कि किसे कितनी सीट मिलेंगी?