प्रतिबंधित संगठन सिमी से देश की संप्रभुता को खतरा

नई दिल्ली,   भारत एक पंथनिरपेक्ष राज्य है जहां हर धर्म के लोगों को बिना किसी भेदभाव के समान अवसर दिये जाते हैं। यही भारत देश की पहचान है लेकिन कुछ दूषित मानसिकता के लोग इस देश के लोगों बरगलाकर देश की संम्प्रभुता को हानि पहुंचाना चाहते हैं ऐसे ही एक संगठन स्टूडेन्ट इस्लामिक मूवमेंट आॅफ इंडिया यानि सिमी पर केन्द्र सरकार ने प्रतिबंन्ध लगाया तो सिमी की ओर से सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल की गई कि उसपर से केन्द्र के द्वारा लगाया गया प्रतिबंन्ध हटा दिया जाए। जिसपर केन्द्र सरकार की ओर से एक हलफनामा दाखिल किया गया कि सिमी के उद्देश्य भारत की संप्रभुता, अखंडता को तोड़ने वाले हैं। वह देश में इस्लामिक शासन स्थापित करने के उद्देश्य से कार्य कर रहा है जिसे इसके देश विरोधी उद्देश्यों को कभी भी सफल नहीं होने दिया जा सकता।

केन्द्र ने साल 2001 पहली बार लगाया था प्रतिबंध
सिमी की ओर से याचिकाकर्ता एचए सिद्विकी ने सुप्रीम कोर्ट में उसपर लगे प्रतिबंध को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी और कहा उसपर लगाये प्रतिबंध को हटाया जाए। इसके जवाब में केन्द्र सरकार के वकील ने कहा कि सिमी पर प्रतिबंध लगाने का कारण छोटा नहीं बल्कि सिमी के देश विरोधी विचारों के लिए लगाया गया। बता दें कि सिमी पर पहली बार प्रतिबंध साल 2001 में लगाया गया था जब जांच में पता चला कि सिमी के सदस्य न सिर्फ देश विरोधी गतिविधियों में शामिल हैं बल्कि उनके बरामद साहित्य से इस बात का भी खुलासा हुआ कि उसके तार विदेशों से भी जुड़े हैं जहां से वह देश में माहौल बिगाड़ने को काम करते हैं। इसके चलते उसपर जारी प्रतिबंन्ध को 31 जनवरी 2019 को ओर कड़ाई से बढ़ाया गया।

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