कोविड-19 महामारी की वजह से लंबे समय से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हुई है…अधिकतर राज्यों में स्कूल कॉलेज बंद थे…कोरोना के मामलों में आई कमी के बाद अब देश में फिर से स्कूल खुलने का सिलसिला शुरू हो गया है….एक तरफ बच्चों के भविष्य को देखते हुए सरकार ने कोरोना के मध्य स्कूलों को खोलने का आदेश दिया है….जिसके बाद स्कूल तो खुले,स्कूलों में बच्चे भी पहुंचे पर स्कूलों में पढ़ाई होती न दिखी..दिखी तो सिर्फ ऐसी तस्वीरें जो बच्चों के भविष्य से खिलवाड़ करती नजर आ रही है…..
पढ़ाई की जगह साफ कर रहे घास
हालात कुछ इस कदर पहुंच गए हैं कि बच्चों को स्कूल में पढ़ाई की जगह स्कूल का काम करना पड रहा है…मां बाप ने कोरोना काल में डरते-डरते सिर्फ इसलिए अपने नौनिहालों को स्कूल भेजा था कि वो पढके उनका नाम रोशन करेंगे और अपना भविष्य संवारेंगे पर आगरा के ब्लॉक खेरागढ़ के पूर्व माध्यमिक विद्यालय वन कागारौल में तो इसके विपरीत ही हो रहा है…आपके बता दें विद्यालय परिसर में बच्चों के जीवन के साथ शिक्षक कुछ इस कदर खिलवाड़ कर रहे हैं कि स्कूली ड्रेस पहने ये बच्चे विद्यालय परिसर में उगी घास को साफ कर रहे हैं…बच्चों को तो लगा था कि स्कूल खुला है तो पढ़ाई होगी पर यहां तो उनके शिक्षकों ने उन्हे मजदूर बना दिया…
बच्चों से किताबें ढुलवा रहे गुरुजी
वहीं बात करें लखीमपुरखीरी के प्राथमिक विद्यालय निघासन की तो यहां स्कूल खुलते ही गुरुजी की ऐसी हरकत सामने आई है….जो आपको ये सोचने पर मजबूर कर दे कि अगर ऐसे स्कूल में पढ़ाई होती है तो बच्चा ना पढ़े तो अच्छा है…..हम बात कर रहे है लखीमपुरखीरी की जहां बच्चों से बाल मजदूरी कराकर किताबें ढुलाई जा रही हैं….वो किताबें जो बच्चों के पढ़ाने के लिए स्कूल परिसर में आई थी पर जिन बच्चों को उन किताबों से पढ़ना था वो ही बच्चे उन किताबों में ढों रहे है गुरु जी तो बैठे हुए हैं और बच्चों से किताबें ढुलवाकर पढ़ाने की जगह मजदूरी करवा रहें हैं…
बीते दो सालों से कोरोना के कारण वैसे भी बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही थी बच्चे स्कूलों से दूर हो गए थे अब जाकर इतने लंबे समय बाद स्कूल खुले हैं लेकिन बच्चों से पढाई की जगहा मजदूरी कराई जा रही है आखिर प्रशासन बच्चों की पढ़ाई को लेकर इतना बेफिक्र क्यो हा क्यों प्रशासन को ये तस्वीरें नहीं दिखती है जो हमे दिखाई दे रही है….