आज यानी गुरुवार को संसद के दोनों सदनों की बैठक अनिश्चितकाल के लिए स्थगित कर दी गयी, लेकिन इस पर भी विपक्ष ने सरकार पर निशाना साधते हुए महंगाई के विषय पर चर्चा कराने से भागने का आरोप लगाया। बैठक स्थगित होने के बाद आरोप कांग्रेस ने कहा कि, सरकार महंगाई के विषय पर चर्चा कराने से भाग खड़ी हुई जिस कारण लोकसभा एवं राज्यसभा की बैठकें अचानक से स्थगित करवा दी गईं। मुख्य विपक्षी दल ने यह दावा भी किया कि सरकार किसान संगठनों के साथ समझौते के मुद्दे पर चर्चा नहीं कराना चाहती थी।
महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है- नेता प्रतिपक्ष खड़गे
राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे ने संवाददाताओं से कहा, ‘महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा है। पिछले कुछ दिनों के दौरान पेट्रोल और डीजल पर 10 रुपये प्रति लीटर से अधिक की वृद्धि की गई है। रसोई गैस सिलेंडर पर 50 रुपये बढ़ाए गए हैं। सीएनजी के दाम में भी रोजाना बढ़ोतरी हो रही है। उर्वरक के दाम में वृद्धि की गई है जिससे किसानों को दिक्कत हो रही है।’’
उन्होंने कहा, ‘हम इस पर चर्चा चाहते थे। लेकिन सरकार चर्चा करने के लिए तैयार नहीं हुई।’ खड़गे ने आरोप लगाया कि संसद की बैठक को निर्धारित समय से पहले स्थगित करा दिया गया। उन्होंने कहा, ‘‘एजेंडे में यह था कि दोनों सदन शुक्रवार तक चलेंगे। हम तो तैयार थे। ऐसा लगता है कि गरीबों, किसानों और युवाओं की समस्याओं को यह सरकार सुलझाना नहीं चाहती।’’
कांग्रेस नेता अधीर रंजन ने सरकार पर साधा निशाना-
लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने कहा, ‘सदन चलाने के लिए सरकार और विपक्ष के बीच चर्चा होती है। यह परंपरा है कि जब हम कोई मुद्दा उठाते हैं तो इस बारे में अध्यक्ष से आग्रह करते हैं या फिर कार्य मंत्रणा समिति (बीएसी) की बैठक में अपनी बात रखते हैं।’
उन्होंने बताया, ‘बीएसी की बैठक में हमारी पार्टी की तरफ से हमने दो मुद्दे रखे थे। हमने आग्रह किया था कि गृह मंत्रालय, विदेश मंत्रालय और रक्षा मंत्रालय से संबंधित अनुदान की मांगों पर भी चर्चा होनी चाहिए। हमने नियम 193 के तहत यूक्रेन की स्थिति पर चर्चा की मांग की थी, इसके साथ ही हमने महंगाई पर चर्चा की मांग भी की थी।’
चौधरी ने कहा, ‘अगर लोकसभा की कार्य उत्पादकता 129 प्रतिशत है तो इसका मतलब है कि विपक्ष ने सहयोग किया है। यह हमारे सहयोग से ही संभव हुआ है।’राज्यसभा में कांग्रेस के मुख्य सचेतक जयराम रमेश ने कहा, ‘राज्यसभा से संबंधित बीएसी में कई विधेयकों के लिए समय तय हो चुका था। विपक्ष तैयार बैठा था कि ये विधेयक लाए जाएंगे,लेकिन नहीं लाए गए। यह सरकार की विफलता है। सरकार के पास कोई एजेंडा नहीं रहा।’