Morbi Bridge Collapse: गुजरात के मोरबी में रविवार रात को बड़ा हादसा हो गया. यहां के मच्छु नदी में बना केबल ब्रिज अचानक टूट जाने से कई लोग नदी में गिर गए. इस हादसे में अब तक141 लोगों की मौत हो गई. बताया जा रहा है कि हादसे के वक्त पुल पर लगभग 500 लोग मौजूद थे
ये लोग रविवार की छुट्टी होने पर ब्रिज पर घूमने पहुंचे थे. रेस्क्यू के लिए सेना, नेवी, एयरफोर्स एनडीआरएफ, फायर ब्रिगेड, एसडीआरएफ की टीमें जुटी हुई हैं. अब तक 200 लोगों को रेस्क्यू किया जा चुका है. हादसे में 25 बच्चों की मौत की खबर है मृतकों में महिलाओं और बुजुर्गों की संख्या भी ज्यादा है। 200 लोग रेस्क्यू किए गए हैं। हादसा रविवार शाम 6.30 बजे तब हुआ, जब 765 फीट लंबा और महज 4.5 फीट चौड़ा केबल सस्पेंशन ब्रिज टूट गया। 143 साल पुराना पुल ब्रिटिश शासन काल में बनाया गया था।
राहत और बचाव काम जोर शोर से चल रहा है. तो वहीं, ब्रिज बनाने वाली कंपनी के खिलाफ गैर इरादतन हत्या का मामला दर्ज हुआ है. फिलहाल इस हादसे की जांच की जा रही है जबकि दूसरी तरफ कांग्रेस ने इसकी जांच की मांग की है.
राज्य के गृह मंत्री हर्ष संघवी ने सोमवार, 31 अक्टूबर 2022 को बताया कि आईजीपी रैंक के अधिकारी के नेतृत्व में इसकी जांच शुरू कर दी गई है. पीड़ित परिवारों को 6-6 लाख मुआवजे का एलान हुआ है. उन्होंने बताया है कि सभी रातभर राहत बचाव के काम में लगे रहे. नौसेना, एनडीआरएफ, एयर फोर्स और आर्मी के जवान घटना के बाद तत्काल मौके पर पहुंचे. रातभर करीब 200 से ज्यादा जवान तलाशी और राहत कार्यों में लगे रहे.
हादसे से जुड़ी अहम बातें
- मोरबी हादसे में सबसे बड़ी बात ये सामने निकलकर आई है कि जिन 141 लोगों की मौत की पुष्टि हुई है उनमें 25 बच्चे शामिल हैं. सूत्रों के मुताबिक इस हादसे में सबसे ज्यादा बच्चों की मौत हुई है.
- राष्ट्रपति से लेकर प्रधानमंत्री तक सभी ने इस हादसे पर दुख जताया है और पीड़ित परिवारों को अनुग्रह राशि देने की भी घोषणा की है.
- बीजेपी सांसद मोहन कुंदरिया के परिजनों की भी इस हादसे में मौत हुई है. सांसद मोहन कुंदरिया की बहन के परिवार के 12 सदस्यों की मौत हो गई. रिश्तेदार बहन की जेठानी के परिवार के सदस्यों, चार बेटियों, चार दामाद और बच्चों की मौत हो गई.
- हादसे के बाद गुजरात सरकार ने हेल्पलाइन नंबर जारी किया है. हादसे से जुड़ी जानकारी के लिए 02822243300 नंबर पर कॉल कर पता किया जा सकता है.
- सेना, नौसेना, वायुसेना, एनडीआरएफ और फायर ब्रिगेड की टीमें मौके पर सर्च ऑपरेशन चला रही है. गुजरात पुलिस की मरीन टास्क फोर्स ने रातभर मच्छु नदी में रेस्क्यू ऑपरेशन चलाया.
- पुल की मरम्मत के बाद इसे चार दिन पहले ही खोला गया था. मरम्मत के काम में आठ करोड़ रुपये खर्च हुए. हादसे के बाद कई तरह के सवाल उठ रहे हैं.
- मच्छु नदी पर बने इस पुल का इतिहास करीब 140 साल पुराना था. इस पुल की बात करें तो यह गुजरात के प्रमुख टूरिस्ट प्लेस में से एक बन गया था. यहां रोज बड़ी संख्या में लोग घूमने आते थे क्योंकि ये पुल हवा में झूलता रहता था और यह बिल्कुल ऋषिकेश के राम और लक्ष्मण झूले जैसा पुल था इसलिए बड़ी संख्या में लोग यहां आते थे.
- संडे को इस पुल पर एक साथ करीब 500 लोग जमा हुए और पुल इतना बोझ नहीं झेल सका. पुल टूटकर नदी में गिर गया, जिससे लोग बहने लगे.
- मोरबी में मच्छु नदी पर इस पुल का निर्माण साल 1880 में पूरा हुआ था और इसका उद्घाटन मुंबई के गवर्नर रिचर्ड टेम्पल ने किया था. उस वक्त इसे बनाने में करीब 5 लाख रुपये खर्च हुए थे.
- यह पुल पिछले 6 महीने से मरम्मत की वजह से लोगों के लिए बंद था. 25 अक्टूबर से इसे फिर से लोगों के लिए खोला गया था. इन 6 महीनों में पुल की मरम्मत पर करीब 2 करोड़ रुपये खर्च हुए थे.
- मोरबी हादसे में 141 लोगों की मौत के बाद अब पुलिस एक्शन में आ गई है. हादसे के बाद 9 लोगों को हिरासत में लिया गया है, जिनसे पूछताछ की जा रही है.
- फोरेंसिक सूत्र के अनुसार, ब्रिज का पुराना केबल भारी दबाब के कारण टूटा .
- मोरबी हादसे में मारे गए लोगों का पोस्टमॉर्टम नहीं किया जाएगा। ये फैसला गुजरात सरकार ने लिया है।
- मोरबी और राजकोट हॉस्पिटल में इमरजेंसी वार्ड बना .
- निगम के अधिकारी और अफसर बोले- 100 की क्षमता थी, 500 लोग जमा हुए… हादसे की यही वजह है .
- जिम्मेदारों पर गैरइरादतन हत्या का केस दर्ज किया गया है।
- कांग्रेस ने कहा कि चुनाव की जल्दबाजी में भाजपा ने पुल को लोगों के लिए जल्दी खोल दिया। खुलने के 5 दिन बाद ही पुल कैसे ढह गया। इसकी जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट या हाईकोर्ट के रिटायर्ड जज की अगुआई में जांच कमेटी बनानी चाहिए।
- पुल टूटने के भयानक हादसे ने मोरबी के लोगों की फिर से एक दर्दनाक घटना की याद दिला दी थी। यह हादसा मच्छू नदी के डैम टूटने से हुआ था। 11 अगस्त 1979 को यह पूरा शहर श्मशान में तब्दील हो गया था
मौज-मस्ती ने लेली जानें
हादसे से करीब एक घंटे पहले का वीडियो वायरल हुआ है। इसमें बड़ी संख्या में लोग ब्रिज पर घूमते नजर आ रहे हैं। उनमें से कुछ लड़के मस्ती में पुल के केबल को पैर मारकर हिलाते दिख रहे हैं। बताया जा रहा है कि ये लड़के ब्रिज के कमजोर होने का मजाक बना रहे हैं। इसके कुछ घंटों बाद ही ब्रिज टूट गया,
ब्रिज पर क्षमता से अधिक लोग जमा हो गए थे। दिवाली की छुट्टी और रविवार होने के कारण भी भीड़ अधिक थी। ब्रिज की क्षमता से अधिक लोगों को ब्रिज पर जाने से रोका क्यों नहीं गया यह भी एक बड़ा सवाल है ब्रिज ओवरलोड होने को ही हादसे का कारण बताया जा रहा है। इसी दौरान ये लोग ब्रिज को हिलाने के लिए मस्ती करने लगे।
लापरवाही का जिम्मेदार लालच
बल्ब बनाने वाली कंपनी के जिम्मे छोड़ा ब्रिज, ज्यादा टिकट बेचने के लालच ने ली 141 जानें
मोरबी का यह ऐतिहासिक पुल शहर की नगर पालिका के अधिकार में था। नगर पालिका ने इसकी मरम्मत की जिम्मेदारी अजंता ओरेवा ग्रुप ऑफ कंपनीज को सौंपी थी। यह इलेक्ट्रॉनिक घड़ियों, कैलकुलेटर, घरेलू उपकरणों और एलईडी बल्ब बनाने वाली कंपनी है। ओरेवा ने ही देश में सबसे पहले एक साल की वारंटी के साथ एलईडी बल्ब बेचने की शुरुआत की थी।
नगर पालिका के CMO संदीप सिंह झाला ने माना कि मरम्मत के दौरान कंपनी के कामकाज की निगरानी के लिए कोई पुख्ता व्यवस्था नहीं थी। यानी पूरी तरह से कंपनी के ऊपर छोड़ दिया गया कि वह पुल को कैसे और किससे बनवाती है और कब चालू करती है? कहीं चेतावनी या सूचना बोर्ड ही नहीं लगा था तो लोगों को कैसे पता चलेगा कि ब्रिज की क्षमता कितनी है यही कारण रहा कि पिकनिक स्पॉट के तौर पर मशहूर इस ब्रिज पर दिवाली बाद के वीकेंड में लोग घूमने निकले हुए थे, ब्रिज 6 महीने बाद खुलने की वजह से भी इसको लेकर लोगों में आकर्षण था . इस वजह से इतने ज्यादा लोग एक साथ वहां घूमने पहुंच गए। लोगों को रोका नहीं जा रहा था, इसलिए 17 रुपए का टिकट खरीदकर लगभग 500 लोग एक साथ ब्रिज पर जा पहुंचे।
हादसे से जुड़ी जानकारी के लिए 02822243300 हेल्पलाइन नंबर