यूक्रेन में मचे हाहाकार के बाहर आने के बाद भी भारतीय छात्रों को राहत नहीं मिल पा रही है। भारतीय दूतावास के निर्देश के अनुसार खारकीव से भारतीय छात्रों को जल्द से जल्द निकलने के आदेश के बाद भारतीय छात्रों से कहा गया था कि आप तुरंत खारखीव छोड़कर पेसोचिन पहुंचिए वहां आपको भारतीय दूतावास की ओर से मदद मिलेगी, यूक्रेन के शहर खारकीव से जान बचाकर भागे भारतीय छात्र भूखे-प्यासे मदद का इंतज़ार कर रहे हैं।
बता दे की, खारकीव से निकलने छात्र Pisochin, Babaye और Bezlyudovaka की ओर बढ़ रहे थे इनमें सबसे करीब पेसेचिन है. जो खारकीव से लगभग 12 किलोमीटर दूर एक कस्बा है. यहां तक खारकीव से पैदल पहुंचने में दो-ढ़ाई घंटे का समय लगता है। खारकीव से पेसोचिन करीब 500 भारतीय छात्र पहुंचे हैं.
उन्हें सिर छिपाने के लिए जगह तो मिल गई है लेकिन भूख से उनकी हालत खराब हो रही है। पेसोचिन पहुंचे डेनिस ने बताया, “हमने दिन भर रेलवे स्टेशन पर ट्रेन का इंतज़ार किया. खतरे की खबर मिलते ही वहां से पेसोचिन की ओर भागे।
भूखे-प्यासे मदद का इंतज़ार कर रहे छात्र-
हमारे कंधों पर भारी बैग थे। रात तक रास्ता ढूंढते हुए पेसोचिन पहुंचे. हमें यहां एक हॉस्टल जैसी जगह पर रखा गया है। बताया गया है कि ये इंतजाम भारतीय दूतावास ने किया है. लेकिन रात-से सुबह हो गई है लेकिन अभी तक खाने को कुछ नहीं मिला है.”
भारतीय झंडे के साथ पैदल निकले-
खारकीव रेलवे स्टेशन से पेसोचिन अपने साथियों के संग पैदल निकले डेनिस ने हिन्दी न्यूज से बातचीत में सुनाई आप बीती। उन्होंने बताया था, “रूस की बमबारी के खतरे के बीच हम भारतीय झंडे को लेकर पैदल ही खारकीव से बाहर जा रहे हैं.”
अभी तक खाने को नहीं मिला कुछ- डेनिस
डेनिस ने बताया कि हमें बताया गया है कि आज शायद कुछ खाने को मिलेगा. अभी तक हमें दूतावास की ओर से कुछ नहीं बताया गया है. ऐसा कहा जा रहा है कि पेसोचिन के हॉस्टल के पास कोई रेलवे स्टेशन है. वहां से भारतीय स्टूडेंट्स के लिए ट्रेनों का इंतजाम किया जाएगा. लेकिन अभी तक कुछ पक्का नहीं है. हमने केवल यह ट्विटर पर देखा है। हमें उम्मीद है कि भारतीय दूतावास हमारी मदद करेगा. लेकिन अभी तक हमें कुछ भी नहीं पता है।