अमेरिका की भारत को चेतावनी, कहा- रूस पर प्रतिबंधों से बचने के लिए भुगतना होगा परिणाम

अमेरिका ने चेतावनी दी कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे. कहा कि वे रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में ‘तीव्र’ वृद्धि देखना नहीं चाहेगा. अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार दलीप सिंह ने मास्को एवं बीजिंग के बीच ‘‘असीमित” साझेदारी का भी जिक्र किया और कहा कि भारत को यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा.

यूएस की धमकी पर भारत ने किया पलटवार

यूएस की इस धमकी पर अब भारत ने पलटवार किया है. संयुक्त राष्ट्र में भारत के स्थायी प्रतिनिधि रहे सैयद अकबरूद्दीन (Syed Akbaruddin) ने डिप्टी एनएसए दलीप सिंह की आलोचना की है और कहा है कि ये कूटनीति की भाषा नहीं है. ये जबरदस्ती की भाषा है.

ये कूटनीति की भाषा नहीं है. ये जबरदस्ती की भाषा है- सैयद अकबरूद्दीन

सैयद अकबरूद्दीन ने ट्वीट कर लिखा, ”तो ये हमारा दोस्त है. ये कूटनीति की भाषा नहीं है. ये जबरदस्ती की भाषा है. कोई इस युवक को बताए कि एकतरफा दंडात्मक प्रतिबंध अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन है.”

सिंह ने कहा कि भारत का रूसी ऊर्जा का मौजूदा आयात अमेरिका के किसी प्रतिबंध (रूस के खिलाफ) का उल्लंघन नहीं करता है क्योंकि अमेरिका ने रूस से ऊर्जा की आपूर्ति को छूट दे रखी है, लेकिन साथ ही वाशिंगटन अपने सहयोगियों को ‘‘गैर भरोसेमंद आपूर्तिकर्ता” पर अपनी निर्भरता घटाने के रास्ते तलाशते भी देखना चाहेगा.

हम यह नहीं देखना चाहेंगे कि रूस से भारत के आयात में तीव्र वृद्धि- सिंह

सिंह ने कहा, ‘‘हम यह नहीं देखना चाहेंगे कि रूस से भारत के आयात में तीव्र वृद्धि हो क्योंकि यह ऊर्जा या किसी अन्य निर्यात से जुड़ी होगी जिस पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा रखा है या अन्य अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हैं.”

सिंह ने रूस से रियायती दर पर तेल खरीदने के भारत के फैसले के बारे में पूछे जाने पर यह कहा. उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत की ऊर्जा और रक्षा उपकरणों की जरूरत को पूरा करने में मदद करने को तैयार है.

भारत दौरे पर हैं रूस के विदेश मंत्री

दलीप सिंह की यह टिप्पणी ऐसे दिन आई है, जब रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव भारत की अपनी दो दिवसीय यात्रा पर हैं, जिसमें नई दिल्ली के रूसी तेल खरीदने सहित द्विपक्षीय व्यापार के लिए रूबल(रूसी मुद्रा)-रुपया भुगतान तंत्र पर चर्चा देखने को मिल सकती है.

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