KNEWS DESK, दुनिया की प्रमुख ऑटोमोबाइल कंपनियों में से एक सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के पूर्व चेयरमैन ओसामु सुजुकी का 94 वर्ष की आयु में निधन हो गया। कंपनी ने 25 दिसंबर 2024 को घोषणा की कि उनका निधन लिम्फोमा (एक प्रकार का कैंसर) के कारण हुआ। ओसामु सुजुकी को उनकी नेतृत्व क्षमता, कंपनी के नेटवर्क विस्तार और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में इसकी पहुंच को मजबूती देने के लिए हमेशा याद किया जाएगा। विशेष रूप से उनके कार्यकाल के दौरान ही मारुति सुजुकी के साथ साझेदारी हुई, जिसने भारतीय बाजार में सुजुकी के लिए एक नई दिशा तय की।
ओसामु सुजुकी का जन्म 30 जनवरी 1930 को जापान के गेरो में हुआ था। उन्होंने 1958 में सुजुकी फैमिली से विवाह किया और इसके साथ ही वे इस प्रतिष्ठित कारोबारी घराने से जुड़ गए। ओसामु ने अपनी पत्नी शोको सुजुकी से विवाह के बाद अपना सरनेम भी बदल लिया, जिससे सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन के इतिहास में एक नया अध्याय जुड़ा। शोको सुजुकी 1909 में स्थापित सुजुकी मोटर के संस्थापक मिचियो सुजुकी की पोती थीं। विवाह के बाद ओसामु सुजुकी ने एक बैंक कर्मचारी के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी, लेकिन वे जल्द ही सुजुकी कंपनी के एक अहम सदस्य बन गए। इसके बाद उन्होंने तकरीबन 40 वर्षों तक कंपनी का नेतृत्व किया और कंपनी के विकास में अहम भूमिका निभाई।
ओसामु सुजुकी के नेतृत्व में सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन ने 1982 में मारुति उद्योग प्राइवेट लिमिटेड के साथ साझेदारी की, जो भारतीय बाजार में सुजुकी की एंट्री का बड़ा कदम था। इस साझेदारी का सबसे बड़ा परिणाम था मारुति 800 का लॉन्च, जिसे 1983 में भारतीय बाजार में पेश किया गया। मारुति 800 को भारतीय कार बाजार में क्रांति लाने के रूप में देखा जाता है, क्योंकि यह कार सस्ती और किफायती के साथ-साथ एक आदर्श कार थी। मारुति 800 दशकों तक भारत की सबसे बेस्ट-सेलिंग कार बनी रही। ओसामु सुजुकी के निर्णय के कारण, आज मारुति सुजुकी भारत की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी बन चुकी है और कंपनी की कारों की देशभर में व्यापक मांग है। सुजुकी मोटर ने उत्तर अमेरिका और यूरोप में अपना नेटवर्क विस्तार करने के लिए प्रमुख जनरल मोटर्स और फॉक्सवैगन जैसी कंपनियों के साथ रणनीतिक साझेदारियां कीं। उनकी दूरदर्शिता और रणनीतिक निर्णयों के कारण, सुजुकी मोटर ने दुनिया भर में अपनी एक मजबूत पहचान बनाई और छोटी कारों, एसयूवी और टू-व्हीलर इंडस्ट्री में भी अपनी पैठ बनाई। हालांकि ओसामु सुजुकी का कार्यकाल एक शानदार सफलता का प्रतीक था, लेकिन उन्हें कुछ चुनौतियों का भी सामना करना पड़ा। 2016 में फ्यूल-इकोनॉमी टेस्टिंग घोटाले के कारण कंपनी पर सवाल उठे और इस विवाद के बाद उन्हें सीईओ के पद से इस्तीफा देना पड़ा। इसके बावजूद उन्होंने कंपनी के लिए एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और आखिरी वर्षों में सलाहकार की भूमिका में काम किया।