KNEWS DESK… 2020 से 2021 के बीच कहर बरपाने वाले कोरोना वायरस को अभी तक कोई भूला नहीं है. इसी बीच अब निपाह वायरस ने केरल में कहर बरपाना शुरू कर दिया है. निपाह वायरस तेजी के साथ फैल रहा है. यह वायरस कोरोना से भी अधिक खतरनाक साबित हो रहा है क्योंकि इसमें मौत का आंकड़ा तुलनात्मक रूप से ज्यादा है.
दरअसल, केरल के कोझिकोड जिले में निपाह वायरस के मामले हाई अलर्ट पर है. यहां इससे दो लोगों की मौत हो गई है और अब तक 6 मरीज सामने आ चुके हैं, जिनमें से तीन मरीजों को अस्पताल में क्वारंटाइन किया गया है. इनमें दो वयस्क और एक बच्चा भी शामिल है. इस वायरल को कोरोना से अधिक खतरनाक बताया जा रहा है. ICMR ने कहा है कि निपाह वायरस से संक्रमण में मृत्यु दर 40-70 फीसदी है, जबकि कोरोना में 2 से 3 फीसदी है. निपाह वायरस ने पिछले 5 सालों से केरल के लोगों में दहशत फैलाकर रखी है. मिली जानकारी के मुताबिक साल 2018 से ये चौथी बार है जब इस वायरस से लोग संक्रमित हो रहे हैं. तब 23 लोगों को निपाह वायरस हुआ था, जिनमें से 21 लोगों की मौत हो गई थी. वहीं, साल 2019 और 2021 में निपाह का हल्का प्रकोप देखा गया था. तब दो लोगों की इस वायरस से मौत हुई थी. निपाह एक ज़ूनोटिक वायरस है, जिसका संक्रमण जानवर से इंसानों में होता है. यह खराब भोजन के माध्यम से लोगों के बीच स्राव के संपर्क में आने से फैल सकता है. इस बार जो स्ट्रेन पाया गया है वो बांग्लादेश से आया है. हालांकि इसे पहले मुकाबले कम संक्रामक माना जा रहा है.
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यह हैं निपाह वायरस के लक्षण
जानकारी के लिए बता दें कि निपाह वायरस के संपर्क में आने के बाद लगभग 4 से 14 दिनों के अंदर लक्षण दिखना शुरू हो जाते हैं. शुरुआत में पहले बुखार या फिर सिरदर्द होता है और बाद में खांसी और सास लेने में समस्या आती है. निपाह वायरस के शुरुआती लक्षणों में बुखार, सिरदर्द, सांस लेने में दिक्कत, खांसी और खराब गला, दस्त, उल्टी, मांसपेशियों में दर्द और कमजोरी शामिल है. इसके अलावा गंभीर लक्षणों में कन्फ्यूजन होना, बोलने में परेशानी, दौरे पड़ना, बेहोश होना और रेस्पिरेटरी में दिक्कत होना शामिल है.
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निपाह वायरस का जानिए उपचार
अगर आपके निपाह वायरस के कोई लक्षण नजर आ रहे हैं, तो तुरंत डॉक्टर को दिखाएं. इसके लिए डॉक्टर आपका यूरिन और ब्लड सैंपल ले सकते हैं. लेकिन निपाह वायरस का इलाज करने के लिए कोई वैक्सीन या दवा मौजूद नहीं है. ऐसे में इससे बचने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है. जैसे- ज्यादा पानी पीना, आराम करना, एसिटामिनोफेन या इबुप्रोफेन लेना, मतली या उल्टी की दवा खाना, सांस लेने में दिक्कत हो तो इन्हेलर यूज करना और दौरे पड़ने पर एंटीसीजर दवाएं लेना.
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