देशभर में करवा चौथ की धूम, जानें व्रत खोलने की सही विधि, नजर न आए चंद्रमा तो क्या करें? 

KNEWS DESK- आज देशभर में करवा चौथ का पावन पर्व श्रद्धा और आस्था के साथ मनाया जा रहा है। यह त्योहार हर साल कार्तिक मास के कृष्ण पक्ष की चतुर्थी तिथि को मनाया जाता है। इस दिन विवाहित महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र, अच्छे स्वास्थ्य और अखंड सौभाग्य की कामना करते हुए निर्जला व्रत रखती हैं।

करवा चौथ पर महिलाएं दिन भर जल भी नहीं पीतीं और शाम को विधिपूर्वक पूजा करके चंद्रमा को अर्घ्य देने के बाद ही व्रत खोलती हैं। पूजा की परंपरा में करवा माता, भगवान गणेश, और चंद्र देव की पूजा की जाती है।

शाम के समय महिलाएं स्नान करके नए वस्त्र पहनती हैं और सोलह श्रृंगार करती हैं। करवा माता और भगवान गणेश की पूजा की जाती है फिर करवा चौथ की कथा सुनी जाती है। चंद्रोदय के बाद महिलाएं छलनी से चंद्रमा के दर्शन करती हैं और अर्घ्य देती हैं। इसके बाद पति के हाथ से पानी पीकर व्रत का पारण करती हैं।

व्रत खोलने की वैकल्पिक विधि- चंद्र देव की पूजा निर्धारित समय पर करें, भले ही वह दिखाई न दें। अर्घ्य देने की दिशा (पूर्व/उत्तर-पूर्व) में मुख करके छलनी से उनकी कल्पना करके दर्शन करें। अगर घर में भगवान शिव की मूर्ति है, तो उनके मस्तक पर स्थित चंद्रमा को देखकर पूजा करें। शिव प्रतिमा न होने की स्थिति में छत पर एक चौकी पर चावल या आटे से चंद्रमा की आकृति बनाएं और उसकी विधिपूर्वक पूजा करें। इसके बाद पति को छलनी से देखकर, उनके हाथ से पानी पीकर व्रत तोड़ा जा सकता है।

करवा चौथ केवल उपवास नहीं, बल्कि एक भावनात्मक और सांस्कृतिक जुड़ाव का पर्व है, जहां पति-पत्नी के बीच विश्वास और प्रेम को नए सिरे से प्रकट किया जाता है। इस पर्व का महत्व शास्त्रों में भी वर्णित है और यह महिलाओं के सौभाग्य और परिवारिक समृद्धि के लिए अत्यंत फलदायी माना जाता है।