उत्तराखंड- उत्तराखंड में तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी थमने का नाम नहीं ले रही है। दअरसल, एक ओर जहां तीर्थ पुरोहित नए चारधाम यात्रा मार्गों का विरोध कर रहे हैं। तो वहीं दूसरी ओर केदारनाथ में तीर्थ पुरोहितों ने सूचना आयोग के सचिव को बंधक बनाकर उनका जमकर विरोध किया है। तीर्थ पुरोहितों ने उन्हें छह घंटे तक बीकेटीसी कक्ष में बंधक बनाए रखा। मांगों पर कार्रवाई का भरोसा देने के बाद मामला शांत हो पाया है। तीर्थपुरोहितों ने बताया कि केदारनाथ में ऑफ सीजन के दौरान बिना अनुमति तीर्थपुरोहितों के कई भवन तोड़े गए। केदारनाथ में उनकी जमीन है और बिना सूचना और आदेश के तीर्थपुरोहितों के अस्थाई दुकानें तोड़ दी गई। जिससे नाराज होकर उन्होंने सचिव का घेराव किया है।
तीर्थ पुरोहितों की लगातार सामने आ रही नाराजगी ने सरकार की चिंता को बढ़ा दिया है। बता दें कि तीर्थ पुरोहित सरकार की ओर से चारधाम यात्रा प्राधिकरण और नए यात्रा मार्गों का पहले से ही विरोध कर रहे हैं। नाराज तीर्थ पुरोहितों और व्यापारियों ने उत्तरकाशी में प्रभारी मंत्री के उत्तरकाशी के दौरे के दौरान मंत्री वापस जाओ के नारे लगाकर अपनी नाराजगी व्यक्त की है। बता दें कि धामी सरकार चारधाम यात्रा के संचालन के लिए अब नए मार्गों पर विचार कर रही है।
मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इस संबंध में अधिकारियों निर्देश दिए हैं कि चारधाम यात्रा को कोटद्वार से संचालित करने की संभावनाओं को तलाशा जाए। इसके साथ ही सीएम ने यात्रा प्राधिकरण को लेकर भी साफ किया कि प्राधिकरण के पास प्रदेश की सभी यात्राओं के संचालन की जिम्मेदारी रहेगी। प्राधिकरण गठन के पीछे सरकार का मुख्य उद्देश्य यही है कि प्रदेश में बढ़ते धार्मिक, सामान्य पर्यटन के मद्देनजर राज्य के पास एक ऐसी संस्था हो, जो इन सभी जिम्मेदारियों, तैयारियों का सही से निर्वहन कर सके। वहीं राज्य सरकार की ओर से यात्रा प्राधिकरण और नए मार्गों पर चल रही कवायद के बाद केदारनाथ में तीर्थ पुरोहित पुननिर्माण के कार्यों से नाराज हैं। सवाल ये है कि आखिर बार बार क्यों तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी सामने आ रही है? क्या सरकार इनसे बिना बातचीत के फैसले ले रही है?
कुल मिलाकर बद्रीनाथ में होने जा रहे उपचुनाव से पहले तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी ने सरकार की चिंता को और बढ़ा दिया है। वहीं धामी सरकार की ओर से चारधाम यात्रा के नए मार्गों और यात्रा प्राधिकरण के गठन से पहले ही इसका विरोध शुरू हो गया है। साथ ही तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी मंत्रियों और अधिकारियों को भी भारी पड़ रही है ऐसे में सवाल ये है कि क्या तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी भाजपा को भारी पड़ेगी। आखिर बार- बार क्यों तीर्थ पुरोहितों की नाराजगी सामने आ रही है। क्या बिना संवाद के सरकार फैसले ले रही है?
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