उत्तरप्रदेश- आज यानी 22 मार्च को इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच ने उत्तर प्रदेश बोर्ड का मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 को असंवैधानिक घोषित कर दिया है। ये ऐलान करते हुए कोर्ट ने कहा कि एक्ट धर्मनिरपेक्षता की सिद्धांत का उल्लंघन करने वाला है इतना ही नहीं कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को वर्तमान में मदरसे में पढ़ रहे छात्रों की आगे की शिक्षा के लिए योजना बनाने का भी निर्देश दिया है और कहा है कि मदरसे में पढ़ रहे छात्रों को बुनियादी शिक्षा व्यवस्था में समायोजित किया जाए।
जानकारी के लिए आपको बता दें कि याचिकाकर्ता अंशुमान सिंह राठौड़ समेत कई लोगों ने कोर्ट में याचिका दाखिल कर उत्तर प्रदेश बोर्ड आफ मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 और उनकी शक्तियों को चुनौती दी थी। इस याचिका में भारत सरकार राज्य सरकार और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग द्वारा मदरसे की मैनेजमेंट पर आपत्ति भी जिताई गई थी। साल 2019 में हाईकोर्ट ने मदरसा बोर्ड के कामकाज और संरचना से संबंधित कुछ सवालों को बड़ी पीठ के पास भेजा था इसमें पूछा गया था कि क्या बोर्ड का उद्देश्य केवल धार्मिक शिक्षा प्रदान करना है भारत में धर्मनिरपेक्ष संविधान के साथ क्या किसी विशेष धर्म के लोगों को किसी भी धर्म से संबंधित शिक्षा के लिए बोर्ड में नामांकित किया जा सकता है ऐसे कई सवाल इस याचिका में पूछे गए थे।
क्या है यूपी बोर्ड मदरसा एक्ट 2004?
यूपी बोर्ड का मदरसा एजुकेशन एक्ट 2004 यूपी सरकार द्वारा लाया गया कानून था जो प्रदेश में मदरसों की शिक्षा व्यवस्था को बेहतर बनाने के लिए बनाया गया था इस कानून में मदरसों को बोर्ड से मान्यता प्राप्त करने के लिए कुछ मानकों को पूरा करना आवश्यक था बता दें कि बोर्ड मदरसों को पाठ्यक्रम शिक्षण सामग्री और शिक्षकों के प्रशिक्षण के लिए भी दिशा- निर्देश दिए गए थे लेकिन अब इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच के लिए गए बड़े एक्शन के बाद सभी अनुदानित मदरसे के अनुदान यानी सरकार की तरफ से मिलने वाली सहायता राशि बंद हो जाएगी इतना ही नहीं अनुदानित मदरसे अब खत्म हो जाएंगे।
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