उत्तर प्रदेश देवबंद। उत्तर प्रदेश में नगर निकाय चुनाव में सभी पार्टियों के प्रत्याशी अपने-अपने क्षेत्र में जीत का परचम लहराने के लिए पूरी ताकत झोंकते हुए दिखाई दे रहे हैं तो वहीम अगर हम बात करें उत्तर प्रदेश के देवबंद जिले की तो वहां पर इस बार त्रिकोणीय मुकाबला देखने को मिल सकता है. इस्लामिक शिक्षा की नगरी देवबंद नगर पालिका चुनाव में दिग्गजों की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है। प्रत्याशियों की बात करें तो यहां सपा ने पूर्व विधायक माविया अली की पत्नी जहीर फातिमा, बसपा से पूर्व पालिका चेयरमैन जियाउद्दीन अंसारी के पुत्र जमाल अंसारी और भाजपा से विपिन गर्ग चुनावी मैदान में जोर अजमाइश करते हुए नजर आ रहे हैं। कांग्रेस ने यहां नौशाद कुरैशी को अपना प्रत्याशी बनाया है। लेकिन सियासी पंडितों की माने तो यहां सपा भाजपा और बसपा के बीच त्रिकोणीय मुकाबला देखा जा रहा है। अनारक्षित श्रेणी होने के चलते देवबंद जनपद की सबसे महत्वपूर्ण निकाय सीट है। वर्ष 2018 में नगरपालिका देवबंद की सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित वर्ग थी। यह सिर्फ मुस्लिम बाहुल्य होने के चलते आज तक भाजपा यहां पर कभी भी जीत हासिल नहीं कर पाई है। इस बार जिस प्रकार से भाजपा के कार्यकर्ता और बड़े पदाधिकारी यहां पर चुनावी मैदान में कूदे हैं तो कहीं ना कहीं मुकाबला दिलचस्प बन गया है। लेकिन इस बार जिस प्रकार से निकाय चुनाव में खासकर देवबंद में भाजपा सपा और बसपा नेताओं के बीच जुबानी जंग छिड़ी है कहीं ना कहीं प्रशासन के माथे पर चिंता की लकीर जरूर खींच दी है। 2018 के निकाय चुनाव में यह सीट बसपा के जियाउद्दीन अंसारी ने सपा को भारी अंतर से हराते हुए बसपा की झोली में डाली थी। लेकिन इस बार सपा जहां ध्रुवीकरण के आधार पर इस सीट को जीतने का प्रयास कर रही है तो भाजपा भी ध्रुवीकरण का कार्ड खेल दोनों सपा और बसपा के बीच मुस्लिम मतों के विभाजन का लाभ उठाकर जीत जुगात लगाती नजर आ रही है।
माफिया अतीक व अशरफ हत्याकांड बना चुनावी मुद्दा
मुस्लिम बहुल्य सीट होने के चलते देवबंद नगर पालिका चुनाव में इस बार प्रयागराज में हुई माफिया डॉन अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या का मुद्दा गर्मा रहा है। जहां सपा और बसपा इस पूरे मामले को लेकर मुस्लिम वोट बैंक को साधने में लगी हुई हैं, माफिया अतीक अहमद और उसके भाई अशरफ की हत्या को लेकर भाजपा सरकार को घेरने का काम कर रही है तो वही भाजपा मजबूत कानून व्यवस्था सबका साथ सबका विकास सबका विश्वास के मुद्दे के आधार पर चुनावी मैदान में उतरी है।
चुनावी आंकड़ा
देवबंद नगर पालिका में 87 हजार मतदाता हैं जिनमें से 54000 मुस्लिम मतदाता जबकि 29000 हिंदू मतदाता है। त्रिकोणीय मुकाबला होने के चलते यहां भाजपा सपा और बसपा के बीच कांटे की टक्कर होगी। गौरतलब होगी 2018 के निकाय चुनाव बसपा के जियाउद्दीन अंसारी जीते थे। उन्हें 18672 वोट मिले थे, जबकि दूसरे स्थान पर भाजपा के सिंबल पर वर्तमान जिलाध्यक्ष डॉ. महेंद्र सिंह रहे थे। उन्हें करीब 12 हजार वोट ही मिल सके थे। पूर्व विधायक माविया अली ने सपा से चुनाव लड़ा था। माविया अली 11180 वोट प्राप्त कर तीसरे स्थान पर रहे थे।
चुनावी गणित
कुल मतदाता-87 हजार
मुस्लिम मतदाता-54 हजार
हिंदू मतदाता-29000
2018 में प्रत्याशियों को मिले वोट
जियाउद्दीन अंसारी (बसपा)-18672
डॉ महेंद्र सैनी (भाजपा)-12000
माविया अली (सपा)-11880
नगर निकाय चुनाव में बृहस्पतिवार को पूर्व विधायक माविया अली द्वारा अपना नामांकन पत्र वापस लिया ले लिया गया था. निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में पर्चा भरा था, जबकि उनकी पत्नी जहीर फात्मा सपा से चुनाव मैदान में हैं। अब भाजपा एवं सपा, बसपा, कांग्रेस और एआईएमआईएम के प्रत्याशियों समेत 19 निर्दलीय प्रत्याशी चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं. एक दूसरे को हराने के लि चुनावी मैदान में हर पैंतरा खेलने की कोशिश करेंगे.
विपिन कुमार गर्ग (भाजपा)
जहीर फातमा (सपा)
जमालुद्दीन अंसारी (बसपा)
नौशाद (कांग्रेस)
कलीम माज (एआईएमआईएम)
शाजिया (निर्दलीय)
अय्यूब बेग (निर्दलीय)
मोहम्मद असलम (निर्दलीय)
असमा प्रवीन (निर्दलीय)
मोहम्मद इस्लाम (निर्दलीय)
इस्लामुद्दीन (निर्दलीय)
उस्मान (निर्दलीय)
कमालउद्दीन अंसारी (निर्दलीय)
तंजीम खां (निर्दलीय)
फुरकान (निर्दलीय)
मोहम्मद तौफीक (निर्दलीय)
नाजमा (निर्दलीय)
नदीम आलम (निर्दलीय)
नबी हसन (निर्दलीय)
निशात शम्स (निर्दलीय)
रिहान (निर्दलीय)
सुलेमान (निर्दलीय)
मरगूब (निर्दलीय)