आज से शुरू है शारदीय नवरात्रि का पर्व, मां शैलपुत्री की करें पूजा-अर्चना, जानें किस मंत्र का करते जाप

KNEWS DESK, आज से शारदीय नवरात्रि का पावन पर्व शुरू हो गया है, जो नौ दिनों तक चलेगा। इस दौरान माता दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाएगी। पहले दिन माता शैलपुत्री का स्वरूप पूजा के लिए विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। इसलिए नवरात्रि के पहले दिन मां शैलपुत्री की पूजा की जाती है।

माता शैलपुत्री का स्वरूप

माता शैलपुत्री का वरण सफेद रंग का होता है। वे सफेद वस्त्र धारण करती हैं और उनकी सवारी वृषभ (बैल) है। माता के दाएं हाथ में त्रिशूल और बाएं हाथ में कमल होता है। उन्हें पहली आदिशक्ति माना जाता है और उनके नाम का अर्थ ‘पर्वत की पुत्री’ है, जो देवी पार्वती का प्रतीक है।

पूजा विधि

नवरात्रि के पहले दिन माता शैलपुत्री की पूजा करने से स्वास्थ्य की शक्ति बढ़ती है और नकारात्मक प्रभाव दूर होते हैं। नवरात्रि पूजा की शुरुआत करने से पहले भक्तों को सुबह जल्दी उठकर स्नान करना चाहिए। इसके बाद, पूजा स्थल या मंदिर को अच्छे से सजाना आवश्यक है। इस दिन भक्तों को पीले रंग के कपड़े पहनने की सलाह दी जाती है। एक कलश लें और उसे पानी, चावल और कोजागरी (पत्ते) से भरें। कलश के मुंह पर लाल कपड़ा बांधकर इसे भगवान गणेश और मां दुर्गा की तस्वीर के सामने रखें। मां की मूर्ति या तस्वीर को सिंदूर से तिलक करें। लाल रंग के पुष्प चढ़ाएं और मां को फल और मिठाई अर्पित करें। माता के समक्ष घी का दीपक जलाएं, जो आपके पूजा स्थल को पवित्र और उज्ज्वल बनाएगा। इसके बाद माता की आरती करें और दुर्गा चालीसा का पाठ करें। यह पूजा को संपूर्णता प्रदान करता है। अंत में, पूरे नवरात्रि के लिए व्रत का संकल्प लें और भक्ति भाव से पूजा करें।

मां शैलपुत्री का भोग

मां शैलपुत्री का संबंध चंद्रमा से है, इसलिए उन्हें सफेद रंग के खाद्य पदार्थों का भोग अर्पित किया जाता है। जैसे खीर जो चावल और दूध से बनी मीठी खीर का मां को भोग लगाएं। रसगुल्ले, पताशे साथ ही मां को गाय के घी का भोग अर्पित करना भी शुभ माना जाता है, जिससे बेहतर स्वास्थ्य और लंबी आयु की प्राप्ति होती है। गाय के घी से बनी मिठाईयों का भोग भी मां को विशेष रूप से पसंद आता है।

मंत्र का जाप

माता शैलपुत्री की उपासना करते समय मंत्र का जाप करने से माता शैलपुत्री खुश होती है।

ॐ देवी शैलपुत्र्यै नमः॥
वन्दे वाञ्छितलाभाय चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
वृषारूढां शूलधरां शैलपुत्रीं यशस्विनीम्॥
या देवी सर्वभूतेषु माँ शैलपुत्री रूपेण संस्थिता।
नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

About Post Author

Leave a Reply

Your email address will not be published.