KNEWS DESK- सनातन धर्म में शनि देव को न्याय का देवता माना जाता है, कहा जाता है कि शनि देव की द्रष्टि जिस पर पड़ती है, उसकी उल्टी गिनती शुरु हो जाती है| शनिवार के दिन शनिदेव की विशेष पूजा की जाती है| क्या आपको पता है, एक बार रावण ने शनि देव को ‘बंदी’ बना लिया था| फिर भगवान हनुमान ने शनि देव को आजाद कराया था| इसलिए ही शनि देव कभी भी भगवान हनुमान के भक्तों को परेशान नहीं करते हैं| चलिए आपको शनि और रावण की पूरी कथा बताते हैं|
जानकारी के अनुसार, रावण के पुत्र इंद्रजीत का जन्म होने वाला था| रावण चाहता था कि उसका पुत्र दीर्घायु और सर्व शक्तिमान हो| रावण बलशाली होने के साथ ही प्रकाण्डय विद्वान तथा ज्योतिष का जानकार भी था| उसने अपने बल से सभी ग्रहों को अपने पुत्र के अनुकूल कर दिया था लेकिन शनि देव ही उसके वश में नहीं थे| वह चाहता था, सभी ग्रह उसके पुत्र के जन्म के समय अच्छी स्थिति में हों, ताकि इंद्रजीत महान योद्धा और दीर्घायु हो|
फिर रावण ने अपने ज्ञान से शनि देव को भी इस स्थिति में कर दिया कि वे एक बंदी बन गए लेकिन शनि देव तो न्याय के देवता हैं| इंद्रजीत के जन्म के समय शनि देव ने अपनी दृष्टि टेढ़ी कर दी, जिसके कारण उसकी कुंडली में लक्ष्मण के हाथों वध होने का योग बन गया|
जैसे ही रावण को इस बात का पता चला तो वह क्रोधित हो गया| उसने अपने गदे से शनि देव के पैर पर वार किया| तबसे शनि देव लंगड़ाकर चलने लगे और उनकी चाल धीमी हो गई| यही कारण है कि सभी ग्रहों में शनि की चाल सबसे धीमी है, इसलिए शनि को अपना एक चक्र पूरा करने में करीब 30 साल लग जाते हैं|