Navratri 2024: चैत्र नवरात्रि पर जानें कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त और पूजन विधि

KNEWS DESK – आज 9 अप्रैल से चैत्र नवरात्रि का पावन पर्व आरंभ हो रहा है, जिसमें नव दिन माँ शक्ति के नव रूपों की उपासना की जाती है| भक्त श्रद्धापूर्वक माँ दुर्गा के आगमन की तैयारी करते है और उनकी उपासना कर स्वयं और अपने परिवार को दैहिक, दैविक और भौतिक तापों से मुक्ति दिला सकते है| इसके साथ ही नव दिनों तक पूरी श्रद्धा भाव से माता की उपासना करने से यश,वैभव और ज्ञान की  प्राप्ति होती है| देवी भागवत के अनुसार दुर्गा ही ब्रह्मा, विष्णु और महेश के रूप में सृष्टि का सृजन, पालन और संहार करती हैं।

Navratri 2020: Know the auspicious time of kalash sthapana in Navratri, keep these things in mind - Navratri 2020: जानें नवरात्रि में कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त, इन बातों का रखें ध्यान - News Nationनवरात्रि पर कलश स्थापना का शुभ मुहूर्त

आपको बता दें कि नवरात्रि की शुरुवात कलश स्थापना के साथ शुरू होती है| 9 अप्रैल को कलश स्थापना के लिए सबसे शुभ मुहूर्त 11 बजकर 57 मिनट से और 12 बज कर 48 मिनट तक रहेगा,जोकि अभिजीत मुहूर्त है| इस मुहूर्त पर कलश स्थापना, पूजा-पाठ और अन्य शुभ कार्यों के लिए सर्वश्रेष्ठ होता है |

ब्रह्रा मुहूर्त- सुबह 04:31 से 05: 17 तक
अभिजीत मुहूर्त- सुबह 11:57 से दोपहर 12: 48 तक
विजय मुहूर्त- दोपहर 02:30 से दोपहर 03: 21 तक
गोधूलि मुहूर्त- शाम 06:42 से शाम 07: 05 तक

अमृत काल:  रात्रि 10:38 से रात्रि 12: 04 तक
निशिता काल:  रात्रि 12:00 से 12: 45 तक
सर्वार्थ सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक
अमृत सिद्धि योग: सुबह 07:32 से शाम 05: 06 तक

नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ के नव विशिष्ट रूपों को समर्पित

बता दें कि नवरात्रि के प्रत्येक दिन माँ के विशिष्ट रूपों जिनमें पहले दिन माता शैलपुत्री, फिर ब्रह्मचारिणी, चंद्रघंटा, कुष्मांडा, स्कंद माता, कात्यायनी, कालरात्रि, महागौरी, सिद्धिदात्री को समर्पित होता है| हर स्वरूप की पूजा करने से अलग-अलग प्रकार के मनोरथ पूर्ण होते हैं साथ ही माँ भक्तों के कष्टों को दूर लकर उन्हें सुख सौभाग्य ,विद्या, निरोगी काया और दीर्घायु प्रदान करती है |

नवरात्री की पूजन विधि 

नवरात्रि के दिन प्रातः घर को साफ सुथरा करके मुख्य द्वार के दोनों तरफ स्वास्तिक और सुख समृद्धि के लिए आम के और अशोक के ताजे पत्तों का तोरण लगाए| पूजा की जगह को साफ करें | स्नान करने के पश्चात लाल रंग के कपड़े पर देवी मां की तस्वीर या मूर्ति को लकड़ी के आसन पर स्वास्तिक बनाकर स्थापित करें| मां दुर्गा की मूर्ति को लाल रंग की चुनरी से सजाएं| अखंड ज्योति जलाकर कलश में गंगाजल भरकर उसमें कुछ आम के पत्तों को रखें, कलश के ऊपर नारियल को लाल कपड़े में लपेटकर मौली से बांधकर कलश को मूर्ति के पास रखते हैं| अब मिट्टी के पात्र में मिट्टी भरकर उसमें जौ के बीज बोये, फिर धूप, दीप जलाकर शंख बजा कर मां के मंत्र के जाप के साथ पूजन सामग्री मां को अर्पित करें और दुर्गा सप्तशती और दुर्गा चालीसा का पाठ करें |

नव दिन करे माँ के इन मंत्रो का जाप –

1-शैलपुत्री : ह्रीं शिवायै नम:

2- ब्रह्मचारिणी : ह्रीं श्री अम्बिकायै नम:

3-चन्द्रघण्टा : ऐं श्रीं शक्तयै नम:

4-कूष्मांडा : ऐं ह्री देव्यै नम:

5-स्कंदमाता : ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:

6-कात्यायनी : क्लीं श्री त्रिनेत्रायै नम:

7-कालरात्रि : क्लीं ऐं श्री कालिकायै नम:

8-महागौरी : श्री क्लीं ह्रीं वरदायै नम:

9- सिद्धिदात्री: ह्रीं क्लीं सिद्धये नाम:

 

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