चैत्र माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि को गणगौर का त्यौहार मनाया जाता है। राजस्थान का ये प्रमुख त्यौहार है। वहीं निमाड़ और मालवा में भी गणगौर बहुत उत्साह से मनाया जाता है। इसमें गणगौर यानी पार्वती जी की पूजा होती है साथ ही शिव जी भी विराजती किए जाते हैं। आपको बता दे, इस दिन शादीशुदा महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सैभाग्य के लिए व्रत रखती हैं। मान्यताओं के अनुसार, गणगौर तीज के एक दिन पहले कुंवारी लड़कियां पूजी हुई गणगौर को नदी, तालाब, सरोवर में पानी पिलाती है। उसके बाद दूसरे दिन शाम को विसर्जित कर देती है। ये मनचाहे वर के लिए किया जाता है। वहीं शादी शुदा महिलाऐं अपने पति से प्रेम पाने के लिए इस दिन व्रत रखती है।
ईसर-गौर की होती है पूजा
आज के दिन भगवान शिव और माता गौरी की पूजा की जाती है। इस दिन शुद्ध, साफ मिट्टी से भगवान शिव और माता गौरी की आकृतियां बनाई जाती हैं। साथ ही इन्हें अच्छे से सजाया जाता है फिर उसके बाद पूजन किया जाता है।
मुहूर्त
तृतीया तिथि आरंभ समय : 3 अप्रैल, 2022 रविवार दोपहर 12:38 बजे से शुरू होगा।
तृतीया तिथि समाप्त समय : 4 अप्रैल, 2022 सोमवार दोपहर 01:54 बजे तक रहेगा।
उदयातिथि 4 अप्रैल को होने के कारण व्रत भी 4 अप्रैल को ही रखा जाएगा।
व्रत पूजन विधि
बता दे, गणगौर पूजन के दौरान शिव और गौरी को सुंदर वस्त्र अर्पित किये जाते है। वहीं सुहाग की वस्तुएं भी अर्पित कर सकते है। साथ ही चन्दन, अक्षत, धूप, दीप, दूब व पुष्प से उनकी पूजा अर्चना करें। फिर एक बड़ी थाली में चांदी का छल्ला और सुपारी रखकर उसमें जल, दूध-दही, हल्दी, कुमकुम घोलकर सुहागजल तैयार किया जाता है।
उसके बाद दोनों हाथों में दूब लेकर इस जल से पहले गणगौर को छींटे लगाकर फिर महिलाएं अपने ऊपर सुहाग के प्रतीक के तौर पर इस जल को छिड़कती हैं। वहीं अंत में चूरमे का भोग लगाकर गणगौर माता की कथा सुनी जाती है। खास बात ये है कि गणगौर पर चढ़ाया हुआ प्रसाद पुरुषों को नहीं दिया जाता। साथ ही जो सिन्दूर माता पार्वती को चढ़ाया जाता है, महिलाएं उसे अपनी मांग में भरती हैं।