KNEWS DESK- किसी भी शुभ काम से पहले हिंदू धर्म में भगवान गणेश जी की पूजा- अर्चना की जाती है। कहते हैं कि भगवान गणपति के आशीर्वाद से शुरू किया काम हमेशा सफल होता है। इसलिए सनातन धर्म में कोई भी मांगलिक कार्य गणेश जी की पूजा के बिना शुरू नहीं होता। आज हम आपको बताएंगे कि हर शुभ काम में सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणपति की पूजा?
बुद्धि देने वाले भगवान गणेश
गणेश बुद्धि के देवता हैं। हर काम के शुभारंभ से पहले हमें बेहतर योजना, फैसले और कुशल नेतृत्व की आवश्यकता होती है। अगर गणेश के पहले पूजन को सांकेतिक भी मानें तो ये सही है कि हर काम की शुरुआत के पहले बुद्धि का उपयोग आवश्यक है। और, बुद्धि देने वाले भगवान गणेश ही हैं।
हर शुभ काम में सबसे पहले क्यों की जाती है भगवान गणपति की पूजा?
पौराणिक कथा के अनुसार, एक बार सभी देवी-देवताओं के बीच विवाद हुआ और विवाद की वजह ये थी कि आखिर धरती पर सबसे पहले किस देवता का पूजन होना चाहिए। अब इस बात पर तो सभी अपने-आपको एक-दूसरे से श्रेष्ठ बताने लगे। देखते ही देखते इस बात पर विवाद शुरू हो गया। जिसके बाद नारद जी ने सभी देवताओं को भगवान शिव की शरण में जाने की सलाह दी।
जिसके बाद सभी देवता भगवान शिव के पास पहुंचे और उनको पूरी बात के बारे में बताया। जब भगवान शिव ने देवताओं के इस झगड़े को देखा तो इसे सुलझाने के लिए एक योजना बनाई। उन्होंने इसके लिए एक प्रतियोगिता आयोजित की। प्रतियोगिता के अनुसार सभी देवताओं को अपने-अपने वाहन पर बैठकर पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने के लिए कहा गया। जो भी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर सबसे पहले वापस आएगा उसे ही धरती पर प्रथम पूजनीय देवता का स्थान दिया जाएगा।
जिसके बाद भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता अपना-अपना वाहन लेकर ब्रह्माण्ड की परिक्रमा के लिए निकल पड़े। इस प्रतियोगिता में गणेश जी भी शामिल थे और उनकी सवारी चूहा था। चूहे की गति बहुत धीमी होती है और ऐसे में गणेश जी सोच में पड़ गए। इसके बाद उन्होंने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय अपने माता-पिता भगवान शिव और माता पार्वती की सात परिक्रमा की और हाथ जोड़कर उनके समक्ष खड़े हो गए।
जब सभी देवता ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाकर वापस लौटे तब वहां गणेश जी पहले से मौजूद थे और भगवान शिव ने गणेश जी को विजयी घोषित कर दिया। जिसे सुनकर सभी देवता हैरान हो गए और सोचने लगे कि चूहे की सवारी से पूरे ब्रह्माण्ड का चक्कर इतनी जल्दी कैसे लगाया जा सकता है। तब भगवान शिव ने बताया कि माता-पिता को ब्रह्माण्ड व पूरे लोक में सर्वोच्च स्थान दिया गया है और उन्हें देवताओं के समान पूजा जाता है। गणेश जी ने ब्रह्माण्ड का चक्कर लगाने की बजाय माता-पिता की परिक्रमा की है। भगवान शिव की बात सुनकर सभी देवता उनके निर्णय से सहमत हो गए और तभी से गणेश जी को प्रथम पूजनीय देवता माना गया है।