knews desk : देवी पुराण के अनुसार, अष्टमी या नवमी वाले दिन कन्या पूजन करने से देवी मां बेहद प्रसन्न होती है. आइए जानते हैं कि अष्टमी और नवमी वाले दिन कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त कब है.
हिंदू धर्म में चैत्र नवरात्रि का विशेष महत्व है. 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो चुकी है. इस बार की चैत्र नवरात्रि बेहद खास है क्योंकि चैत्र नवरात्रि से ही हिंदू नववर्ष की शुरुआत हुई है. पूरे देश में नवरात्रि का त्योहार बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है. नवरात्रि के दो सबसे खास दिन होते हैं अष्टमी और नवमी. अष्टमी और नवमी के दिन लोग व्रत का पारण करते हैं और अपने घरों में कन्या पूजन भी करते हैं. कन्याओं को मां दुर्गा के स्वरूप माना जाता है….
नवरात्रि की अष्टमी तिथि 29 मार्च के दिन है. इस दिन अमृत चौघड़िया में कन्यापूजन किया जा सकता है. अमृत चौघड़िया मुहूर्त सुबह 6 बजकर 37 मिनट से सुबह 8 बजकर 9 मिनट तक रहेगा. इस समयावधि में कन्यापूजन किया जाना बेहद उत्तम रहेगा. इसके पश्चात सुबह 11 बजकर 13 मिनट से दोपहर 12 बजकर 45 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है.
30 मार्च, नवमी (Navami) तिथि पर कन्या पूजन का शुभ मुहूर्त सुबह 6 बजकर 13 मिनट से 7 बजकर 46 मिनट तक बताया जा रहा है. इसके बाद सुबह 10 बजकर 52 मिनट से दोपहर 12 बजकर 25 मिनट तक भी कन्यापूजन किया जा सकता है. हालांकि, अष्टमी और नवमी तिथि पर इन शुभ मुहूर्त के अलावा भी पूरे दिन कभी भी कन्यापूजन कर सकते हैं.
कन्यापूजन की विधि
- अष्टमी और नवमी तिथि पर कन्यापूजन करने के लिए सबसे पहले सुबह उठकर स्नान पश्चात् स्वच्छ वस्त्र धारण किए जाते हैं. यदि भक्त व्रत रख रहे हैं तो वे व्रत का संकल्प लेते हैं.
- अब घर में रोज की ही तरह पूजा की जाती है और देवी मां को भोग लगाया जाता है.
- इसके बाद घर में कन्याएं बुलाई जाती हैं.
- कन्याओं के पैर धुलवाए जाते हैं और चटाई बिछाकर उन्हें बिठाते हैं.
- हाथ में कलावा बांधा जाता है और माथे पर तिलक लगाते हैं.
- प्रसाद में हलवा, चना, पूरी, नारियल और बताशे आदि परोसतें हैं.
- कन्याओं को साथ ही कोई उपहार, श्रृंगार की वस्तु, एक रुपए या श्रृद्धा से कोई भी राशि दी जाती है.
- इसके बाद कन्याओं के पैर छूकर आशीर्वाद लिया जाता है और उन्हें घर भेजते हैं.
- इस दिन गाय को पूड़ी खिलाना भी बेहद शुभ माना जाता है.