गैरसैंण। 4 मार्च 2020 को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने उत्तराखंड की जन भावनाओं का सम्मान करते हुए और राज्य आन्दोलनकारियों के आधे अधूरे ख्वाब को पूरा करने की दिशा में कदम बढ़ाते हुए हमेशा से ही राज्य की राजनीति और जन भावनाओं का केंद्र रही उत्तराखंड की हृदय स्थली गैरसैंण को प्रदेश की ग्रीष्मकालीन राजधानी घोषित तो कर दिया। मगर राजधानी की घोषणा अपने साथ त्रिवेंद्र रावत की कुर्सी को ले डूबी और रावत की घोषणा महज कागजों तक ही सिमट कर रह गयी। जिसके बाद राज्य में बड़े सियासी हलचल हुए विधानसभा चुनावों का आयोजन हुआ और फिर एक बार राज्य की जनता ने युवा प्रदेश और युवा नेतृत्व की बात करते हुए भारतीय जनता पार्टी को पूर्ण बहुमत के साथ राज्य की सत्ता सौपी।
वही गैरसैंण ग्रीष्मकालीन राजधानी की घोषणा लगभग दम तोड़ चुकी थी। जिसके लगभग दो साल बाद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व वाली सरकार ने गैरसैंण के भरारीसैणं स्थित विधानसभा परिसर में एक बार फिर बजट सत्र के आयोजन का निर्णय लिया और सुनिश्चित किया कि 13 से 18 मार्च तक भरारी सैण में बजट सत्र का आयोजन होगा। 13 मार्च की सुबह चटक खिली हुई धूप साफ नीले नीले आसमान अठखेलियां करते हुए बादलो और षासराती हुई हवाओं के बीच चारों ओर से प्रकृति के खूबसूरत नजारों के बीच भररीसैण स्थित उत्तराखंड विधानसभा परिसर में हूटर बजाते हुए आते वीआईपी और वीवीआईपी वाहनों के काफिले मित्रता पुलिस की परेड और दिवालीखल से लेकर भरारी सैण तक के घने जंगलों के बीच पुलिस ही पुलिस। फिर लगभग दो साल बाद गुलजार हुई राज्य आन्दोलनकारियों के सपनों की राजधानी गैरसैण।
इतने लंबे इंतजार मार्च 2021 के बाद मार्च 2023 में अपने विधानसभा परिसर को खिल खिलाते देख स्थानीय जनता फूले नहीं समा पा रही है। लेकिन पहाड़ की सीधी साधी जनता और आम जनमानस के मन में इस सत्र को लेकर काफी सवाल भी है।
आखिर बजट सत्र ही क्यों ?
ग्रीष्मकालीन राजधानी में सरकार पूरे छह महीने क्यो नही रहती?
राजधानी में बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था क्यों?
राजधानी में बेहतर शिक्षा व्यवस्था क्यो नही?
ऐसे अनेक प्रश्नों के बीच दो साल बाद आयोजित होने वाला बजट सत्र कई मायनों में अपने आप में बहुत महत्वपूर्ण भी हो जाता है। क्योंकि युवो प्रदेश की बात करने वाली धामी सरकार इस बजट में राज्य के चहुमुखी विकास और ग्रीष्मकालीन राजधानी के उत्थान के लिए अनेक योजनाओं को लाने जा रही है। जिससे पहाड़ कि जनता को बहुत आशा है। ये बजट अपने आप में इसलिए भी खास हो जाता है क्योंकि राज्य में आम परंपरा रही है कि राज्यपाल बजट सत्र की सुबह ही भरारी सैण पहुंचते है लेकिन राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह रविवार दोपहर ही गैरसैंण पहुंच गये है। वही राज्य के पुलिस अधिकारियों, बडे बडे आलाधिकारियो और सचिवों के साथ ही मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने भी रविवार से ही बजट सत्र का मोर्चा संभाल लिया है।