नगर निकाय पर सवाल, विपक्षी पार्षदों का बवाल !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट: उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव पर रार छिड़ गई है। दअरसल उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव टल सकते हैं। नवंबर माह मे निकायों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। निकाय अधिनियम में निकायों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले या फिर इसके बाद में चुनाव कराने का प्राविधान है। चुनाव न होने की स्थिति में उनमें छह माह के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते हैं।  कांग्रेस का कहना है कि सरकार हार के डर से घबराके चुनाव नहीं कराना चाहती…वहीं कांग्रेस पार्षदों ने मेयर देहरादून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आंक्रोशित कांग्रेस पार्षदों ने नगर निगम का घेराव किया…कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि निगम की ओर से विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं की जा रही है। कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि आखिर वर्क ऑर्डर जारी करने में इतनी देरी क्यों हो रही है। सरकार विकास के दावे करती है लेकिन स्ट्रीट लाईट तक नहीं लगाई जा रही है…वहीं एक तरफ जहां कांग्रेस पार्षदों ने नगर निगम में मेयर को घेरा हुआ है तो दूसरी तरफ कांग्रेस स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर सरकार को घेर रही हैं। कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के कार्य लोंगो के लिए मुसीबत बन रहे हैं। जगह जगह सड़कें खोदी गई है लेकिन कछुए की चाल से काम चल रहा है…वहीं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने खुद सड़क पर उतरकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया तो उन्होने पाया की कार्यों में काफी देरी हो रही है। निरीक्षण के दौरान नाले में पानी जमा होने पर उन्होने नाराजगी जताई। मंत्री ने कहा कि इससे डेंगू का लार्वा पनपने की संभावना है, जल्द ही नाले की सफाई करवाई जाए कुल मिलाकर देखा जाए तो कांग्रेस ने चुनाव से पहले सरकार को विकास कार्यों के नाम पर घेराबंदी तेज कर दी है

 

 देवभूमि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव पर रार छिड़ गई है। दअरसल उत्तराखंड में नगर निकाय के चुनाव टल सकते हैं। नवंबर माह मे निकायों का कार्यकाल खत्म हो रहा है। निकाय अधिनियम में निकायों का कार्यकाल खत्म होने से 15 दिन पहले या फिर इसके बाद में चुनाव कराने का प्राविधान है। चुनाव न होने की स्थिति में उनमें छह माह के लिए प्रशासक बैठाए जा सकते हैं।  कांग्रेस का कहना है कि सरकार हार के डर से घबराके चुनाव नहीं कराना चाहती…वहीं कांग्रेस पार्षदों ने मेयर देहरादून के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है। आंक्रोशित कांग्रेस पार्षदों ने नगर निगम का घेराव किया…कांग्रेस पार्षदों का आरोप है कि निगम की ओर से विकास कार्य नहीं कराए जा रहे हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी नहीं की जा रही है। कांग्रेस पार्षदों का कहना है कि आखिर वर्क ऑर्डर जारी करने में इतनी देरी क्यों हो रही है। पार्षदों का कहना है कि नगर निगम के वार्डों में मेयर और पार्षद कोटे से करीब 45 करोड़ के काम होने हैं। जिनको जानबूझकर टाला जा रहा है। वहीं विकास कार्यों में देरी को लेकर मेयर सुनील उनियाल गामा ने विपक्ष के पार्षदों पर पलटवार किया है। उन्होंने कहा कि लोक निर्माण अनुभाग टेंडर जारी कर चुका है। वर्क ऑर्डर भी जारी किए जा रहे हैं। स्ट्रीट लाइटें लगनी शुरू हो गई हैं। और विपक्ष के पास कोई मुद्दा नहीं है।

वहीं एक तरफ जहां कांग्रेस पार्षदों ने नगर निगम में मेयर को घेरा हुआ है तो दूसरी तरफ प्रदेश कांग्रेस ने स्मार्ट सिटी के कार्यों को लेकर सरकार की घेराबंदी तेज कर दी है। कांग्रेस का आरोप है कि स्मार्ट सिटी के कार्य लोंगो के लिए मुसीबत बन रहे हैं। जगह जगह सड़कें खोदी गई है लेकिन कछुए की चाल से काम चल रहा है…वहीं शहरी विकास मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल ने खुद सड़क पर उतरकर निर्माण कार्यों का निरीक्षण किया तो उन्होने पाया की कार्यों में काफी देरी हो रही है। निरीक्षण के दौरान नाले में पानी जमा होने पर उन्होने नाराजगी जताई। मंत्री ने कहा कि इससे डेंगू का लार्वा पनपने की संभावना है, जल्द ही नाले की सफाई करवाई जाए वहीं मंत्री ने जल्द निर्माण कार्य पूरे होने का आश्वासन दिया है जिसपर कांग्रेस को भरोसा नहीं है

कुल मिलाकर राज्य में लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव पर रार छिड़ गई है। और नगर निकाय के चुनाव फिल्हाल टलते हुए दिख रहे हैं। सवाल ये है कि आखिर क्यों निकाय चुनाव को टाला जा रहा है। क्या सरकार लोकसभा चुनाव से पहले निकाय चुनाव कराने का जोखिम नहीं लेना चाहती, आखिर क्यों कांग्रेस के पार्षदों को विकास कार्यों के लिए मेयर का घेराव करना पड़ रहा है देखना होगा क्या सरकार निकाय चुनाव के साथ ही अधूरे विकास कार्यों को समय पर पूरा करा पाती है या नहीं

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