देहरादून, उत्तराखंड में 2024 के लोकसभा चुनाव को जीतने के लिए एक और जहां भाजपा पूरी ताकत के साथ चुनाव को फतह करने की तैयारियों में जुटी हुई है तो दूसरी ओर उत्तराखंड कांग्रेस अपने ही नेताओं की नाराजगी में उलझी हुई है। दरअसल कांग्रेस के विधायक तिलक राज बेहड़ ने अपनी ही पार्टी हाईकमान के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, और उप नेता प्रतिपक्ष जैसे सभी पद कुमाऊं के नेताओं को देकर गढ़वाल की अनदेखी की है। तिलकराज बेहड़ के इस बयान का पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी समर्थन किया है। साथ ही प्रीतम सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रभारी देवेंद्र यादव का नाम लिए बिना तीखा हमला करते हुए कहा कि उन्हें राजनीति का क ख ग नहीं मालूम है। साथ ही प्रभारी प्रदेश में समन्वय नहीं बना पा रहे हैं. ये आरोप प्रीतम सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रभारी पर लगाए हैं….जाहिर है पार्टी के शीर्ष दो विधायकों की खुलकर बाहर आ रही नाराजगी से शीर्ष नेताओं की चिंता बढ़ गई है.
उत्तराखंड में 2024 के चुनावी दंगल को जीतने के लिए सभी राजनीतिक दल अपनी अपनी तैयारियों में जुटी हुई है। इन तैयारियों को आगे बढ़ाते हुए भाजपा अन्य दलों से काफी आगे निकल गई है। बीजेपी ने चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ाते हुए चुनावी दंगल को जीतने के लिए अभी से तैयारी शुरू कर दी है। इसी कड़ी में राज्य के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समेत केंद्र के तमाम सीनियर मंत्रियों से मुलाकात कर राज्य के लिए करोड़ों की सौगात लाने का प्रयास कर रहे हैं। दिल्ली दौरे से वापस लौटे मुख्यमंत्री धामी ने बताया कि उन्होने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोशीमठ प्रभावितों के पुनर्वास, प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 25 हजार मकान राज्य को आवंटित किए जाने, 125 मेगावट बिजली प्रोजेक्ट की स्वीकृति दिए जाने, राज्य में पीएमजीएवाई की सड़कों को बनाने समेत राज्य में वंदे भारत एक्सप्रेस चलाने की प्रधानमंत्री से मांग की है.
एक तरफ जहां बीजेपी में सरकार से लेकर संगठन तक सभी चुनाव को जीतने की तैयारियों में जुटे हैं तो वहीं दूसरी ओर मुख्य विपक्षी दल यानि की कांग्रेस अपने ही झगड़ों में उलझी हुई है। दरअसल कांग्रेस के विधायक तिलक राज बेहड़ ने अपनी ही पार्टी हाईकमान के फैसले पर सवाल खड़े किए हैं। उनका कहना है कि हाईकमान ने प्रदेश अध्यक्ष, नेता प्रतिपक्ष, और उप नेता प्रतिपक्ष जैसे सभी पद कुमाऊं के नेताओं को देकर गढ़वाल की अनदेखी की है। तिलकराज बेहड़ के इस बयान का पूर्व नेता प्रतिपक्ष प्रीतम सिंह ने भी समर्थन किया है। साथ ही प्रीतम सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रभारी देवेंद्र यादव का नाम लिए बिना तीखा हमला करते हुए कहा कि उन्हें राजनीति का क ख ग नहीं मालूम है। साथ ही प्रभारी प्रदेश में समन्वय नहीं बना पा रहे हैं. ये आरोप प्रीतम सिंह ने अपनी ही पार्टी के प्रभारी पर लगाए हैं.
कुल मिलाकर 2024 के चुनावी दंगल से पहले कांग्रेस अपने ही नेताओं की बयानबाजी में उलझ गई है। निश्चित ही कांग्रेस हाईकमान के लिए अपने नेताओं की इस नाराजगी को दूर करना आसान नहीं होगा लेकिन सवाल ये है कि अगर नेताओं में अभी भी नेतृत्व को लेकर नाराजगी होगी तो पार्टी कैसे चुनावी तैयारियों को आगे बढ़ाएगी. कैसे कांग्रेस भाजपा का मुकाबला कर पाएगी. क्या कांग्रेस को चुनाव में गढ़वाल की अनदेखी भारी पड़ेगी ऐसे अनगिनत सवाल है जिसके जवाब का सबको इंतजार है.