देहरादून। केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह मे मंडित सोने का अचानक पीतल में बदल जाने के बाद एक ओर जहां राज्य की सियासत अपने चरम पर है तो वहीं दूसरी ओर बद्री केदार मंदिर समिति के पदाधिकारियों के साथ ही भाजपा सरकार मंदिर में लगे सोने का पीतल में बदल जाने वाली बात पर अपना पल्ला झाड़ते हुए कह रही है कि जल्द ही इस मामले मे जांच का आश्वासन दे रही है।
वहीं अब केदारनाथ मंदिर के गर्भगृह मे सोना मढ़ने के मामले में चल रहे विवाद और अफवाहों के पटाक्षेप के लिए इस मामले की गंभीरता को समझते हुए जांच गढवाल कमिश्नर को सौंपी गई है। गढवाल कमिश्नर की अध्यक्षता में बनी इस जांच कमेटी मे तकनीकी विशेषज्ञों की टीम के साथ ही एक सुनार को भी सम्मिलित किया जाता है।
राज्य के पर्यटन एवं धर्मस्व मंत्री सतपाल महाराज ने इसके संबंध में जानकारी दी। महाराज का कहना है कि आस्था से जुड़े मामले पर बेवजह बवाल कर कांग्रेस मामले के तूल दे रही है।
उनका कहना है कि हमारी सरकार धार्मिक आस्था से जुड़े मामले में बेहद ही संवेदनशील है। बीकेटीसी ने भी निर्धारित प्रावधानों के अनुरूप ही दानदाता से दान लिया है। इसके साथ ही केदारनाथ मंदिर गर्भगृह को स्वर्ण मंडित करने के लिए राज्य सरकार से ही अनुमति ली गई थी।
महाराज ने जानकारी देते हुए कहा कि गर्भगृह में सोना मढ़ने का काम भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के विशेषज्ञों की देखरेख में किया गया है। दानदाता ने अपने स्तर से ज्वेलर्स से तांबे की प्लेटें तैयार करवाई फिर उन प्लेटों पर सोने की परतें चढ़ाईंगई। जानकारी के मुताबिक सोना खरीदने से लेकर मंदिर के गर्भगृह में \ मंडित कराने तक का सारा काम दानदाता ने ही कराया है।
दानदाता को अपने स्तर से काम कराने के कारण मंदिर समिति का इसमें प्रत्यक्ष रूप से कोई भूमिका नहीं है। इस बात को जानते हुए राजनीतिक लाभ लेने के लिए इस मामले को जबरन उछाला जा रहा है।
ऐसे आरोपों को देखते हुए प्रदेश सरकार मामले को लेकर गंभीर हो गई है। जो भी सच्चाई होगी प्रत्यक्ष रूप से जनता के सामने आएगी। इसलिए मामले की जांच के आदेश सुशील कुमार केा दिए गए है।जांच मे कोई भ्ज्ञी अपराधी पाया जाएगा उसके विरुद्ध कठोर कार्यवाही की जाएगी।