देहरादून, एक पहाड़ी राज्य होने के कारण उत्तराखंड में वनों का प्रतिशत 70% से अधिक है लेकिन इससे जुड़ी चुनौतियां भी अपार हैं। हर साल गर्मियों के दिनों में वनों में आग लगने की घटनाएं सामने आती रहती हैं। जिससे राज्य में वनों, और वन्यजीवों पर बड़ा संकट बना रहता है। हालांकि इसे लेकर वन विभाग भी अपनी तैयारियों में रहता है। लेकिन अक्सर ये बात सुनने में आती है कि वन विभाग के पास वनों कि आग को काबू पाने के लिए पर्याप्त साधन नहीं होते जिसके चलते आग पर काबू पाना बहुत मुश्किल हो जाता है.
इसे देखते हुए वन विभाग इस बार 15 फरवरी से शुरू होने वाले फायर सीजन में एसडीआरएफ से मदद लेगी साथ ही एसडीआरएफ के उपकारणों को आग बुझाने के काम में लाएगी। इस बार सर्दी के मौसम में सामान्य से करीब 70 प्रतिशत कम वर्षा हुई इसलिए अनुमान लगाया जा रहा है कि इस बार आग की घटनाएं ज्यादा होंगी। वर्षा कम होने जमीन पर नमी कम हो जाती है जिससे आग जल्दी पकड़ लेती है। बीते समय में उत्तराखंड के वनों को आग से भारी क्षति हुई है। इसलिए वनों को आग से बचाने के लिए वन विभाग पहले से ज्यादा सतर्क है। वन विभाग ने अब जंगलों से पिरुल हटाना शुरु कर ग्रामीणों को भी वनों में आग के कारणों प्रति जागरूक किया जा रहा है। सूत्रों के अनुसार हाल ही में जोशीमठ के पास हेलंग के समीप के जंगल में आग लगी है। क्योंकि यह क्षेत्र गांव से दूर है इसलिए यहां आग बुझाने के लिए प्रयास भी नहीं हो सके।