उत्तराखंड: चुनावी शोर, महंगाई पर कितना कंट्रोल ?

KNEWS DESK- लोकसभा चुनाव की आचार संहिता लागू होने से ठीक पहले मोदी सरकार ने महंगाई के मोर्चे पर बड़ा फैसला लिया है। दअरसल सरकार ने एक तरफ जहां रसोई गैस के दामों में 100 रुपए की कटौती की है। तो वहीं दूसरी ओर पेट्रोल और डीजल के दामों में भी कटौती की है। केंद्र के फैसले के बाद पेट्रोल और डीजल की कीमतों में दो रुपए प्रति लीटर की कमी आई है। महंगाई के मोर्च पर घिरी मोदी सरकार का ये मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है। वहीं चुनाव से ठीक पहले केंद्र के बाद धामी सरकार ने भी कर्मचारियों को अपने फैसले से खुश किया है। दअरसल सरकार ने कर्मचारी-शिक्षक व पेंशनरों के लिए चार फीसदी महंगाई भत्ते का ऐलान किया है। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में न्यूनतम 750 से लेकर 8000 हजार रुपये तक का इजाफा होगा। मुख्यमंत्री पुष्कर धामी की मंजूरी के बाद सचिव वित्त दिलीप जावलकर ने ये आदेश किए हैं। बता दें कि केंद्र व यूपी सरकार अपने कर्मचारियों को पहले ही यह लाभ दे चुकी है। इसके बाद से उत्तराखंड के कर्मचारी संगठन इस संबंध में दबाव बना रहे थे। चुनाव से ठीक पहले केंद्र और राज्य सरकार के इस फैसले की सत्तापक्ष जमकर सराहना कर रहा है जबकि विपक्ष सरकार के इस फैसले को उंट के मुंह में जीरे के समान बता रहा है। बता दें कि चुनाव के दौरान विपक्ष कर्मचारियों और महंगाई के मुद्दे पर सत्तापक्ष को घेरने की रणनीति बनाए हुए था। सवाल ये है कि क्या भाजपा ने विपक्ष से महंगाई और कर्मचारियों का मुद्दा भी छिन लिया है। क्या भाजपा को चुनाव से ठीक पहले लिए गये इन फैसलो का फायदा मिलेगा?

आपको बता दें कि चुनाव में एक ओर जहां सत्तापक्ष अपनी उलब्धियों को जन जन तक पहुंचा रहा है तो दूसरी और विपक्ष सत्तापक्ष की नाकामियों को घर घर तक पहुंचा रहा है। हांलाकि इसी बीच मोदी सरकार ने दामों में कुछ कटौती जनता को थोड़ी राहत तो जरूर दी है। इसके साथ ही चुनाव से ठीक पहले केंद्र के बाद धामी सरकार ने भी कर्मचारियों को अपने फैसले से खुश किया है। दअरसल सरकार ने कर्मचारी-शिक्षक व पेंशनरों के लिए चार फीसदी महंगाई भत्ते का ऐलान किया है। इससे कर्मचारियों और अधिकारियों के वेतन में न्यूनतम 750 से लेकर 8000 हजार रुपये तक का इजाफा होगा। वहीं राज्य में अब इस मुद्दे पर सियासत गरमा गई है। सत्तापक्ष का कहना है कि विपक्ष के पास अब कोई मुद्दा नहीं बचा है जबकि विपक्ष का कहना है कि चुनाव के समय थोड़ी राहत देकर सत्तापक्ष इसे बड़ी उपलब्धि बता रहा है जबकि जनता बेरोजगारी, महंगाई से परेशान है

कुल मिलाकर चुनाव से पहले मोदी और धामी सरकार का ये फैसला मास्टर स्ट्रोक माना जा रहा है ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा ने महंगाई के मौर्चे पर जंग जीत ली है। क्या भाजपा ने विपक्ष से महंगाई और कर्मचारियों का मुद्दा भी छिन लिया है। क्या भाजपा को चुनाव से ठीक पहले लिए गये इन फैसलो का फायदा मिलेगा या नहीं?

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