लखनऊ: मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रदेशवासियों को सुरक्षित और अपराध मुक्त माहौल देने के लिए जीरो टॉलरेंस नीति के तहत वर्ष 2022 में अपराध-अपराधियों के खिलाफ अभियान को और तेज कर दिया। इसी का नतीजा रहा कि वर्ष 2022 में कानून का शिकंजा माफिया और अपराधियों पर कसता चला गया और दुर्दांत माफियाओं के साथ उनके शागिर्दों को सलाखों के पीछे धकेलने के साथ कई को दूसरी दुनिया में भेज दिया गया। इतना ही नहीं वर्ष 2022 में प्रदेश में ड्रग माफिया के खिलाफ भी वृहद स्तर पर अभियान चलाया गया। साथ ही इनके मूल विनाश के लिए एएनटीएफ (एंटी नारकोटिस टास्क फोर्स) का गठन किया गया ताकि प्रदेश में अवैध नशे के कारोबार को पूरी तरह नेस्तनाबूद किया जा सके और ऐसा हुआ भी। वहीं दुर्दांत माफिया को प्रभावी पैरवी के चलते कोर्ट से आजीवन कारावास और दो की फांसी की सजा दिलाई गई। योगी सरकार के इन प्रयासों का ही नतीजा है कि वर्ष 2022 में प्रदेश में अपराध का ग्राफ काफी कम रहा है, जो हाल ही में एनसीआरबी द्वारा जारी आंकड़ों में भी देखने को मिले।
मुख्तार समेत 62 माफिया की अवैध संपत्ति पर चला योगी का बुलडोजर
सीएम योगी के निर्देश पर यूपी पुलिस ने वर्ष 2022 में यूपी पुलिस ने माफिया के गैंग के 896 सहयोगियों के खिलाफ 396 से अधिक मुकदमे दर्ज कर 431 से अधिक आरोपियों को गिरफ्तार किया गया। 178 पर गुंडा एक्ट, गैंगेस्टर में 884 और 13 आरोपियों के खिलाफ रासुका के तहत कार्रवाई की गई। साथ ही प्रदेश स्तर पर चिह्नित 62 माफिया की अवैध रूप से कमाई गई 26 सौ करोड़ से अधिक की संपत्ति को जब्त और ध्वस्त किया गया है। वहीं माफिया और उसके गैंग के सहयोगियों के 310 से अधिक शस्त्र लाइसेंस निरस्त किए गए। इतना ही नहीं प्रदेश के थाना स्तर पर 16158 टॉप टेन अपराधियों का को चिह्नित कर 83,721 मुकदमे दर्ज किए और उनके द्वारा अवैध रूप से कमाई गई 648 करोड़ से अधिक की संपत्ति जब्त की गई। साथ ही प्रदेश में 56491 अपराधियों के विरुद्ध गैंगस्टर अधिनियम तथा 795 अपराधियों के विरुद्ध रासुका की कार्रवाई की गई। यूपी पुलिस ने प्रदेश में कानून का राज बनाए रखने के लिए प्रदेश में खौफ का पर्याय बने करीब 8 अपराधियों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया।
प्रभावी पैरवी से मुख्तार को तीन माह के अंदर तीसरी बार सुनाई गई सजा
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर यूपी पुलिस सिर्फ माफिया और अपराधियों के खिलाफ कार्रवाई ही नहीं कर रही, बल्कि उन्हे सजा भी दिलवा रही है। यूपी पुलिस, अभियोजन और शासन के आपसी तालमेल से कोर्ट में प्रभावी पैरवी कर पूरे देश में सर्वाधिक माफिया और अपराधियों को सजा दिलाई गई। यही नहीं सबसे कम समय में सजा दिलाने में भी उत्तर प्रदेश, देश में पहले स्थान पर रहा। पुलिस, अभियोजन और शासन ने मिलकर मुख्तार सहित 36 माफिया और उनके शागिर्दों को आजीवन कारावास और दो को फांसी की सजा दिलाई। वहीं प्रभावी पैरवी का ही नतीजा रहा कि कोर्ट ने माफिया मुख्तार को तीन माह के अंदर तीन बार सजा सुनाई। 21 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ खंड पीठ ने साल 2003 में जेलर एसके अवस्थी को धमकाने के एक मामले में सजा सुनाई थी। वहीं 23 सितंबर को इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ पीठ ने 1999 में दर्ज हुए गैंगेस्टर एक्ट के मामले में उसे पांच साल की सजा सुनाई थी। इतना ही नहीं 15 दिसंबर को गाजीपुर की एमएलए कोर्ट ने गैंगस्टर के पांच मामलों में माफिया मुख्तार और उसके सहयोगी भीम सिंह को 10 साल की सजा सुनाई।
यूपी पुलिस की पैरवी से कोर्ट ने महिला एवं बाल अपराध के मामले में 36 अपराधियों को फांसी की सजा सुनाई, जबकि 1296 को आजीवन कारावास, 1263 को 10 वर्ष या उससे अधिक की सजा तथा 3676 को 10 वर्ष से कम की सजा सुनाई। इस पर एनसीआरबी की रिपोर्ट में भी माना गया कि महिलाओं के खिलाफ अपराधों में सजा दिलाने में उत्तर प्रदेश, देश में पहले पायदान पर है। एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार प्रदेश में 59.1 प्रतिशत की दर से महिला संबंधित मामलों में कोर्ट से सजा सुनाई गई। साथ ही पॉक्सो अधिनियम तथा महिला अपराध के तहत 2273 अपराधियों को सजा दिलाई गई।
सीएम योगी ने ड्रग माफिया को दी करारी चोट, एएनटीएफ का किया गठन
सीएम योगी की मंशा के अनुसार प्रदेश में ड्रग माफिया और अवैध नशे के सौदागरों के खिलाफ सख्त अभियान चलाया गया। साथ ही प्रदेश में ड्रग माफिया और अवैध नशे के सौदागरों की कमर तोड़ने के लिए पहली बार एंटी नारकोटिक्स टास्क फोर्स (एएनटीएफ) का गठन किया गया। पहले चरण में दो थानों गाजीपुर और बाराबंकी में एएनटीएफ थाना खोला गया और तीन क्षेत्रीय शाखा मेरठ, लखनऊ और गोरखपुर जोन की स्थापना की गई है। ड्रग माफिया के खिलाफ 24 अगस्त से आठ सितंबर तक चले अभियान में पुलिस ने 2833 संदिग्ध आरोपियों को चिह्नित कर 2479 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की और 2277 मुकदमे दर्ज किए। इन आरोपियों से पुलिस ने 39 करोड़ 68 लाख रुपए की बरामदगी की। गैंगेस्टर अधिनियम के तहत 358 आरोपियों के खिलाफ 110 मुकदमे दर्ज किए गए और 35 करोड़ 14 लाख की संपत्ति जब्त की। साथ ही कोर्ट में पैरवी कर 188 आरोपियों को सजा दिलाई। वहीं पुलिस ने अवैध और जहरीली शराब के खिलाफ चले अभियान में 11,157 आरोपियों के खिलाफ 10,821 मुकदमे दर्ज किए और 11 करोड़ 16 लाख रुपए से अधिक की बरामदगी की है। इसके अलावा गैंगेस्टर अधिनियम के तहत 319 आरोपियों के खिलाफ 101 मुकदमे दर्ज किए हैं। साथ ही कोर्ट में पैरवी कर 164 अपराधियों को सजा दिलाई गई है। गैंगेस्टर अधिनियम के तहत करीब 20 करोड़ रुपए की अवैध सम्पत्ति जब्त की गई है। आबकारी अधिनियम के तहत 406 आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई की गई है।
योगी सरकार ने रचा इतिहास, 37 साल में पहली बार कानून व्यवस्था पर दोबारा बनी सरकार
उत्तर प्रदेश में हमेशा पिछली सरकारें अपने कार्यकाल में बिगड़ी कानून व्यवस्था के चलते सत्ता में दोबारा वापसी नहीं कर सकीं। हर चुनाव में प्रदेश की कानून व्यवस्था का मामला गरमाया रहा और बिगड़ी कानून व्यवस्था का खामियाजा पिछली सरकारों को भुगतना पड़ा। वहीं उत्तर प्रदेश के इतिहास में 37 साल बाद एक ही पार्टी दोबारा सत्ता पर काबिज हुई। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अगुवाई में प्रदेश में कानून व्यवस्था का जो राज स्थापित हुआ उसने प्रदेश की जनता का दिल जीत लिया। योगी सरकार की अपराध और अपराधियों की जीरो टॉलरेंस नीति काे काफी पंसद किया गया और दोबारा मजबूत कानून व्यवस्था को देखते हुए जनता ने प्रदेश की बागडोर की कमान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के हाथों में सौंपी। अगर वर्ष 2022 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी की जीत की बात करें तो पार्टी ने दो तिहाई वोटों से जीत हासिल की, जिसने उत्तर प्रदेश के इतिहास ने नया कीर्तिमान रच दिया।
दंगा मुक्त रहा प्रदेश, पुलिस के प्रति जनता का बढ़ा इकबाल
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की अपराध और अपराधियों के प्रति जीरो टॉलरेंस नीति का ही असर है कि वर्ष 2022 में प्रदेश में एक भी दंगा नहीं हुआ, जबकि देश के अन्य प्रदेशों की बात करें तो वह दंगाें से अक्षुते नहीं रहे। वहीं पश्चिम बंगाल की बात करें तो यह राज्य वर्ष 2022 पूरी तरह से दंगाइयों की चपेट में रहा। मुख्यमंत्री मतता बनर्जी इन दंगाें को रोकने में पूरी तरह से नाकाम रहीं। पश्चिम बंगाल में मार्च, अप्रैल, जून और अक्टूबर में विभिन्न शहरों में दो संप्रदायों के बीच जमकर झड़प हुई, जिसमें कई लोगों की मौत हुई जबकि घायलों की संख्या हजारों में दर्ज की गई। यही नहीं यहां पर जब पश्चिम बंगाल की पुलिस ने दंगे को रोकने के लिए एक्शन लिया तो दंगाइयाें ने उन्हे भी नहीं बख्शा। वहीं उत्तर प्रदेश में पिछले साढ़े पांच वर्षों में प्रदेश की जनता का उत्तर प्रदेश की पुलिस के प्रति इकबाल बढ़ा है, जो योगी सरकार में पुलिस की सुधरी छवि को दर्शाता है।
वर्ष 2022 की अन्य उपलब्धियां एक नजर में
– धार्मिक स्थलों से 75,190 लाउडस्पीकर हटाये गये। इसके अतिरिक्त 50,000 से अधिक लाउडस्पीकरों की ध्वनि कम करायी गयी।
– 10,000 से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती।
– 5381 नये पदों की मंजूरी। इनमें 86 राजपत्रित व 5295 अराजपत्रित श्रेणी के पद हैं।
– ई-प्रॉसीक्यूशन मोबाइल एप, प्रदेश के 1531 थानों में साइबर हेल्प डेस्क की स्थापना।
– लखनऊ व गौतमबुद्ध नगर के अलावा 16 परिक्षेत्रीय मुख्यालयों पर 1-1 साइबर क्राइम थाने की स्थापना।
– लखनऊ में डिजिटल फॉरेन्सिक लैब एवं प्रत्येक परिक्षेत्र स्तर पर साइबर फॉरेन्सिक लैब की स्थापना का कार्य गतिमान
– महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा हेतु उत्तर प्रदेश स्पेशल सिक्योरिटी फोर्स का गठन।
– अयोध्या में एसटीएफ की इकाई गठित
– वीमेन पॉवर लाइन 1090, जीआरपी, फायर सर्विस और महिला हेल्पलाइन 181 सेवा का एकीकरण।
– प्रदेश में 3195 एन्टी रोमियो स्क्वॉयड गठित। इनके द्वारा 675143 स्थानों पर 2833893 व्यक्तियों की चेकिंग।
– देवबन्द, बहराइच, अलीगढ़, कानपुर सहित कई अन्य जनपदों में एटीएस को नई फोल्ड यूनिट गठित।
– बंदियों को सुरक्षित लाने-ले जाने के लिए 56 जिलों को मॉडन प्रिजन वैन उपलब्ध करायी गयी।
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