अनिरुद्ध पांडेय- यूपी के कौशांबी जिले में एक हैरान कर देने वाली घटना तब सामने आयी जब जिस किशोरी को मृत मानकर अंतिम संस्कार तक कर दिया गया था। वह दो महीने बाद इंस्टाग्राम वीडियो कॉल पर जिंदा नजर आई। पुलिस ने साइबर सेल की मदद से उसे शहजादपुर थाना क्षेत्र के टेडीमोड़ से सकुशल बरामद कर लिया। इस मामले में न सिर्फ एक झूठा हत्या का केस उजागर किया, बल्कि एक निर्दोष युवक जेल जाने से बच गया।
परिजनों ने अज्ञात शव की पहचान बेटी के रूप में की थी
20 मार्च 2025 को कोखराज थाना क्षेत्र निवासी एक महिला ने अपनी 16 वर्षीय बेटी रेखा (काल्पनिक नाम) के अपहरण की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। आरोप था कि विष्णु कुमार नामक युवक उसे बहला-फुसलाकर भगा ले गया। लेकिन इस रिपोर्ट से ठीक दो दिन पहले, 18 मार्च को भरवारी और विदनपुर रेलवे स्टेशन के बीच एक अज्ञात युवती की क्षत-विक्षत लाश मिली थी।

पहचान न होने पर नियमानुसार 72 घंटे बाद शव का पोस्टमार्टम कर अंतिम संस्कार कर दिया गया। 22 मार्च को रेखा के परिजनों को जब इस शव की जानकारी मिली, तो उन्होंने उसे ही अपनी बेटी मान लिया। परिवार ने शव लौटाने और पुलिस पर लापरवाही से अंतिम संस्कार करने का गंभीर आरोप लगाया।
युवती ने किया अपने भाई को वीडियो कॉल
यह मामला सोशल मीडिया और कुछ टीवी चैनलों की सुर्खियों में आ गया। पुलिस ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए शव और परिवार के डीएनए सैंपल जांच के लिए भेज दिए और साथ ही किशोरी की तलाश भी जारी रखी। 20 मई को पुलिस को सूचना मिली कि रेखा अपने भाई से इंस्टाग्राम वीडियो कॉल पर संपर्क कर रही है। भाई ने पूछताछ में इसकी पुष्टि भी कर दी। इसके बाद सर्विलांस और साइबर टीम ने इंस्टाग्राम की लोकेशन ट्रेस कर, 29 जून को रेखा को टेडीमोड़ (थाना शहजादपुर क्षेत्र) से सकुशल बरामद कर लिया। अब यह साफ हो गया कि रेलवे ट्रैक पर मिली युवती की लाश किसी और की थी। समय रहते सच्चाई सामने आने से एक निर्दोष युवक हत्या के झूठे आरोप से बच गया। पूरे घटनाक्रम का खुलासा मंझनपुर स्थित पुलिस कार्यालय में एसपी राजेश कुमार ने मंगलवार दोपहर 2 बजे प्रेस वार्ता के दौरान किया। फिलहाल पुलिस किशोरी से पूछताछ कर रही है, और आगे की कानूनी कार्रवाई जारी है।