रिर्पोट : शैलेन्द्र कुमार
बस्ती: । सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है, लेकिन चार दशक बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है. परियोजना में अब तक अरबों खरबों रुपये खर्च कर दिए गए और 2021 में पीएम मोदी ने परियोजना पूरी होने की घोषणा के बाद इसे देश को समर्पित भी कर दिया,लेकिन अभी भी ये नहर पूरी नहीं बन पाई है.
सरकार की एक ऐसी योजना जिसे पूरा होने में 4 दशक से भी अधिक का समय लगा, और जब परियोजना पूरी हुई तो धरातल पर इसका किसानों को लाभ ही नही मिल पाया, यानि जिस सोच के साथ इस योजना की शुरुवात हुई वह जमीन पर उतरते उतरते बदहाल हो गई। सरयू नहर परियोजना पूर्वांचल की लाइफ लाइन मानी जाती है, लेकिन चार दशक बीत जाने के बाद भी अब तक किसानों तक पानी नहीं पहुंचा है. परियोजना में अब तक अरबों खरबों रुपये खर्च कर दिए गए और 2021 में पीएम मोदी ने परियोजना पूरी होने की घोषणा के बाद इसे देश को समर्पित भी कर दिया,लेकिन अभी भी ये नहर पूरी नहीं बन पाई है. विभाग की तरफ से किसानों की जमीन का अधिग्रहण किया गया ताकि किसानों को अपना खेत सींचने में आसानी हो मगर ऐसा नही हो सका। किसान ने अपनी जमीन भी दी ,लेकिन किसानों को आजतक नहर में पानी नहीं मिल पाया। ऐसे में ये महत्वाकांक्षी परियोजना धरातल पर दम तोड़ती नजर आ रही है.
1982 में शुरू हुई थी परियोजना
दरअसल, सरयू नहर परियोजना को साल 1982 में नेशनल प्रोग्राम के रूप में शुरू किया गया था. सरयू नहर परियोजना बहराइच, बस्ती, गोरखपुर समेत 9 जिलों के लिए शुरू की गई, लेकिन चार दशक से ज्यादा समय बीत जाने के बाद भी आज तक नहरों में पानी नहीं पहुच सका है. नहर को बनाने में अब तक साढ़े तीन हजार करोड़ रुपए से ज्यादा खर्च हो चुके हैं. फिर भी नहर अब तक चालू नहीं हो सकी है. एक तरफ नहरों में पानी न पहुंचने से किसानों को नहर का लाभ नहीं मिला. दूसरी तरफ, नहर के लिए जो उपजाऊ जमीन अधिग्रहण की गई थी वो भी बेकार पड़ी हुई है. सरयू नहर योजना जो पिछले 41 साल से संचालित हो रही है, बावजूद इसके किसानों को इस योजना का लाभ नहीं मिल पाया,जनपद के बहादुरपुर ब्लाक में सिंचाई के लिए सरयू नहर परियोजना की अयोध्या पंप कैनाल की स्थापना 1970 में की गई थी।ब्लाक के चमनगंज गाँव सहित कई गाँवों के किसानों का कहना है कि 40 किलोमीटर लंबी इस नहर में अब तक सिर्फ एक बार 1992 में पानी आया था। उसके बाद से इस कैनाल में आज तक पानी नहीं आया सरयू नदी में 80 हॉर्स पावर के 3 पंप लगे हैं जिससे मात्र 2 किलोमीटर ही पानी पहुंच पाता है।तो वहीं विभाग का कहना है कि पर्याप्त बिजली नहीं मिल पा रही है।तो वहीं इसी विकास खण्ड के तिलाहवा गांव पर नलकूप विभाग द्वारा बस्ती पंप कैनाल स्थापित किया गया था,इस नहर की भी कुल लंबाई लगभग 25 किलोमीटर है।यह नहर दर्जनों गांव से होकर गुजरती है, मुख्य नहर तिलहवा से कुदरहा ब्लॉक के कडसरी मिश्र तक और माइनर नहर पिपरा गौतम इंटर कॉलेज तक बनी थी।लेकिन नहर निर्माण के बाद से ही किसानों को इस नहर से फसलों की सिंचाई के लिए पानी नहीं मिल सका।विभागीय उपेक्षा के चलते इस नहर का क्षेत्र भी सिकुड़ता चला आया, अब यह सरयू नहर महज 13 किलोमीटर तक ही सीमित रह गया है। नहर के देख रेख और रखरखाव के नाम पर हर साल लाखों रुपए खर्च होते है लेकिन कागजों में सिर्फ नहर की सफाई कर ली जाती है, और कागजों में ही नहरों में पानी छोड़ा जाता है।
नहर सफाई के नाम पर केवल बंदरबाट
दो साल पहले किसानों को पानी उपलब्ध कराने के लिए इस नहर पर लगभग तीन करोड़ रुपए खर्च कर लगभग 2 किलोमीटर नहर का पक्कीकरण कराया गया था, जो बिना नहर में पानी आए ही बदहाल हो गया है। नहर को देखकर ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि नहर के निर्माण और मरम्मत के नाम पर करोड़ों रुपए का बंदरबांट किया गया,लेकिन किसानों को पानी आजतक मयस्सर नहीं हो पाया।मतलब जिस नहर को खेतों की सिचाई करनी थी विभागीय अधिकारियों की वजह से आज वो खुद प्यासी है।