शिवराजपुर में स्थित खेरेश्वर मंदिर में आज भी आते हैं अश्वत्थामा

KNEWS DESK…कानपुर के 700 वर्ष पुराना प्राचीन मंदिर खेरेश्वर मे आज भी पुजारी जब मंदिर के पट खोलते हैं तो शिवलिंग पर फूल और जल चढ़ा होता है। मान्यता है कि महाभारत काल के अश्वत्थामा ही  शिवलिंग पर पुष्प और जल चढ़ाते हैं।

आपको बता दें कि प्राचीन मंदिर को लेकर आज भी भक्तों की पुरानी मान्यता है कि महाभारत काल वाले अश्वत्थामा अमर हैं लेकिन भगवान कृष्ण के श्राप ने उन्हें जो वेदना दी उसका इलाज केवल भोलेनाथ ही कर सकते हैं। इसलिए अश्वत्थामा आज भी भगवान शंकर की पूजा उपासना कर रहे हैं। श्रावण मास में देश के कोने-कोने से भक्त शिवराजपुर स्थित खेरेश्वर मंदिर में भोले नाथ के दर्शन के लिए आते हैं। करीब 700 वर्ष पुराने प्राचीन मंदिर में श्रावण मास में हजारों भक्त गंगा जल से महादेव का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। भोले बाबा गंगा जल और बेल पत्र से प्रसन्न होकर भक्तों की मनोकामना पूरी करते हैं।

शिवलिंग पर पुष्प और जल चढ़ा हुआ मिलता है?

कानपुर के प्राचीन मंदिर को लेकर आज भी भक्तों की मान्यता है कि यहां पर पहले दर्शन व पूजन अजर और अमर अश्वत्थामा करते हैं। हर रोज सुबह जब पुजारी मंदिर के पट को खोलते हैं तो शिवलिंग पर पहले से फूल और जल चढ़ा हुआ मिलता है। मान्यता है कि प्राचीन काल में चरवाहों की गायों का दूध इस स्थान पर स्वयं निकलने लगा। ग्रामीणों के द्वारा खोदाई कराने पर यहां शिवलिंग निकला था। यह स्थान छतरपुर गांव के खेर पर स्थित है। जिसकी वजय इस क्षेत्र को खेरेश्वर के नाम से जाना जाता है।

खेरेश्वर मंदिर की विशेषता?

मंदिर के पास ही गंगा का सरैया घाट है। वहां भक्त लोग नहा कर गंगाजल से शिवलिंग का जलाभिषेक करते हैं। प्राचीन मंदिर में सावन महीने को मेले का आयोजन हर साल होता है। मंदिर प्राचीन शैली में निर्मित है और पवित्र सावन महीने में मंदिर के गर्भगृह में भक्तों को कबूतर के जोड़े के दर्शन होते हैं। इसे भक्तों के लिए शुभकारी व मनोरथ पूर्ण करने वाला माना जाता है।

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