KNEWS DESK, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने रविवार को भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) कानपुर पहुंचे। जहां उन्होंने छात्रों को संबोधित करते हुए देश के विकास में स्मार्ट, समाधान-उन्मुख और सतत नवाचारों पर काम करने का आह्वान किया। उन्होंने विशेष रूप से पराली जलाने की समस्या का समाधान खोजने और किसानों के कल्याण को प्राथमिकता देने की अपील की।
धनखड़ ने ‘भारत के विकास में नवाचार की भूमिका’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में कहा कि कृषि, स्वास्थ्य सेवा और अन्य प्रमुख क्षेत्रों में समाधान-उन्मुख नवाचार तभी संभव है जब हम वास्तविक दुनिया की समस्याओं को गहराई से समझें। वहीं उप राष्ट्रपति ने छात्रों से आग्रह किया, “मेरे युवा मित्रों, इसके लिए आपको अपने आरामदायक क्षेत्रों से बाहर निकलकर देशभर के विविध हितधारकों के साथ जुड़ने की आवश्यकता है। आईआईटी कानपुर से मेरी भावुक अपील है कि आप किसानों के कल्याण को मिशन मोड में लेकर चलें। पराली जलाना एक ऐसी समस्या है जिसका समाधान आप खोज सकते हैं। कृपया अपने नवाचारी विचारों से इस चुनौती को हल करें।”
किसानों के कल्याण पर जोर
धनखड़ ने किसानों के कल्याण पर जोर देते हुए कहा कि भारतीय किसान आज भी तनावग्रस्त है क्योंकि उसने नवाचार के लाभों का पूरी तरह से अनुभव नहीं किया है। उन्होंने छात्रों से आग्रह किया कि वे ऐसे शोध करें जो आम जनता के लिए उपयोगी और परिवर्तनकारी हो। उन्होंने कहा, “मैंने हमेशा यह कहा है कि शोध केवल अकादमिक प्रशंसा के लिए नहीं होना चाहिए। शोध का उद्देश्य समाज को लाभ पहुंचाना और लोगों के जीवन में बदलाव लाना होना चाहिए।”
भारत की प्रगति को दें गति
धनखड़ ने कहा कि भारत अब एक ऐसा देश बन गया है जो आर्थिक उन्नति और अभूतपूर्व बुनियादी ढांचे के लिए जाना जाता है। उन्होंने कहा, “आज भारत समुद्र, जमीन, आकाश और अंतरिक्ष में अपने प्रदर्शन के लिए वैश्विक प्रशंसा प्राप्त कर रहा है।” वहीं उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत की इस परिवर्तनकारी यात्रा में देश के तकनीकी संस्थानों और उनके पूर्व छात्रों की अहम भूमिका रही है। “ऐतिहासिक साक्ष्य बताते हैं कि किसी भी देश ने तकनीकी क्रांतियों का नेतृत्व किए बिना महानता हासिल नहीं की है।”
छात्रों से नवाचार में भागीदारी का किया आह्वान
उप राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में कहा कि छात्रों को नवाचार के क्षेत्र में और अधिक योगदान देना चाहिए। उन्होंने कहा, “कभी भारत एक अलग स्थिति में था, लेकिन आज यह उम्मीद और संभावनाओं का देश बन चुका है। हमें अब ऐसी शोध परियोजनाओं पर ध्यान केंद्रित करना चाहिए जो आम जनता के लिए सार्थक हों।”