उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट , उत्तराखंड में बेरोजगारी पर मचे सियासी घमासान के बीच श्रम बल सर्वेक्षण की रिपोर्ट ने चौंकाने वाला खुलासा किया है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में बीते कुछ समय में रोजगार तेजी से बढ़े हैं। बेरोजगारी दर में साढ़े तीन फीसदी की कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक श्रम बल की भागीदारी में 55.9 से 60.10 पर पहुंच गई है। महिला श्रमिकों के रोजगार में भी 6.5 फीसदी का उछाल आया है। इसके तहत वर्ष 2021-22 में उत्तराखंड में महिला श्रम बल की भागेदारी 34.6 प्रतिशत थी। जो एक वर्ष में ही यानि की 2022-23 में यह बढ़कर 41.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। और ये स्थिति सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी है रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं…वहीं राज्य में श्रम बल सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं…जबकि सत्तापक्ष का कहना है कि राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युवाओं के हित में लगातार कार्य कर रहे हैं। ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट के बाद राज्य में रोजगार के और अधिक अवसर खुलेंगे.. जिससे ये स्थिति और अधिक बेहतर होगी….आपको बता दें कि श्रम बल सर्वेक्षण की इस रिपोर्ट से पहले उत्तराखंड लोक सेवा आयोग यानि की (यूकेपीएससी) ने भी रोजगार के मुद्दे पर सीएम धामी की जमकर सराहना की थी। आयोग ने दावा किया था कि धामी सरकार ने एक वर्ष के कार्यकाल में इतनी भर्ती कर दी है जितनी की राज्य के 22 सालों के इतिहास में किसी भी सरकार ने नहीं की है। यूकेपीएससी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक धामी सरकार ने एक वर्ष के कार्यकाल में 6635 भर्ती की हैं, जबकि पिछले 22 वर्षों के दौरान 6869 भर्तियां ही हुई। सवाल ये है कि क्या धामी सरकार ने विपक्ष से बेरोजगारी का मुद्दा भी छिन लिया है। क्या धामी सरकार में राज्य के युवाओं के अच्छे दिन आ गए है
देशभर में बेरोजगारी पर मचे सियासी बवाल के बीच उत्तराखंड से रोजगार के मोर्चे पर अच्छी खबर सामने आई है। दअरसल श्रम बल सर्वेक्षण ने एक रिपोर्ट जारी की है। इस रिपोर्ट में दावा किया गया है कि उत्तराखंड में बीते कुछ समय में रोजगार तेजी से बढ़े हैं। बेरोजगारी दर में साढ़े तीन फीसदी की कमी आई है। रिपोर्ट के मुताबिक श्रम बल की भागीदारी में 55.9 से 60.10 पर पहुंच गई है। महिला श्रमिकों के रोजगार में भी 6.5 फीसदी का उछाल आया है। इसके तहत वर्ष 2021-22 में उत्तराखंड में महिला श्रम बल की भागेदारी 34.6 प्रतिशत थी। जो एक वर्ष में ही यानि की 2022-23 में यह बढ़कर 41.1 प्रतिशत पर पहुंच गई है। और ये स्थिति सिर्फ शहरों में ही नहीं, बल्कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी है रिपोर्ट में कहा गया है कि शहर के साथ साथ ग्रामीण क्षेत्रों में भी रोजगार के अवसर बढ़े हैं…वहीं राज्य में श्रम बल सर्वेक्षण की रिपोर्ट सामने आने के बाद सियासत गरमा गई है। कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों ने इस रिपोर्ट पर सवाल उठाए हैं…जबकि सत्तापक्ष का कहना है कि राज्य के युवा मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी युवाओं के हित में लगातार कार्य कर रहे हैं इसी का नतीजा है कि रिपोर्ट में भी सीएम के कार्यों को सराहा जा रहा है
आपको बता दें कि श्रम बल सर्वेक्षण की इस रिपोर्ट से पहले उत्तराखंड लोक सेवा आयोग यानि की (यूकेपीएससी) ने भी रोजगार के मुद्दे पर सीएम धामी की जमकर सराहना की थी। आयोग ने दावा किया था कि धामी सरकार ने एक वर्ष के कार्यकाल में इतनी भर्ती कर दी है जितनी की राज्य के 22 सालों के इतिहास में किसी भी सरकार ने नहीं की है। यूकेपीएससी के ताजा आंकड़ों के मुताबिक धामी सरकार ने एक वर्ष के कार्यकाल में 6635 भर्ती की हैं, जबकि पिछले 22 वर्षों के दौरान 6869 भर्तियां ही हुई। वहीं सत्तापक्ष का दावा है कि राज्य में रोजगार की स्थिति और बेहतर होगी…सरकार की ओर से दिसंबर में हुई ग्लोबल इंवेस्टर्स समिट में साढ़े तीन लाख करोड़ के एमओयू को सरकार धरातल पर उतारने की तैयारी कर रही है जिससे युवाओं को और अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे
कुल मिलाकर उत्तराखंड लोक सेवा आयोग के बाद श्रम बल सर्वेक्षण की रिपोर्ट में भी धामी सरकार की रोजगार के मुद्दे पर सराहना हो रही है….सवाल ये है कि क्या सीएम पुष्कर सिंह धामी के कार्य विपक्षी दलों पर भारी पड रहे हैं। क्या धामी सरकार ने विपक्ष से बेरोजगारी का मुद्दा भी छिन लिया है। क्या धामी सरकार में राज्य के युवाओं के अच्छे दिन आ गए है, क्या समिट में हुए एमओयू धरातल पर उतरकर राज्य के युवाओं को और अधिक रोजगार देने की दिशा में सकारात्मक साबित होंगे