प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मंगलवार को अलीगढ़ में राजा महेंद्र प्रताप के नाम पर स्थापित होने वाली यूनिवर्सिटी की नींव रख दी । इस दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और राज्यपाल आनंदीबेन पटेल भी मौजूद रहीं। राजा महेंद्र प्रताप सिंह यूनिवर्सिटी के शिलान्यास के बाद पीएम मोदी ने लोगों को संबोधित किया। बीजेपी के इस यूनिवर्सिटी शिलान्यास को लेकर विपक्ष भी हमलावर हो गया है। सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव ने तो यहां तक कह दिया कि ये बीजेपी का चुनावी स्टंट है।
मोदी ने बताया अलीगढ़ के लिए अहम दिन
पीएम मोदी ने अपने संबोधन में कहा कि ‘आज अलीगढ़ के लिए, और खासकर पश्चिमी उत्तर प्रदेश के लिए बहुत बड़ा दिन है। इसके साथ ही मोदी ने कल्याण का नाम लेकर पिछड़ों को भी टटोला। उन्होंने कहा कि मैं आज स्वर्गीय कल्याण सिंह जी की अनुपस्थिति बहुत ज्यादा महसूस कर रहा हूं। आज कल्याण सिंह जी हमारे साथ होते तो राजा महेंद्र प्रताप सिंह राज्य विश्वविद्यालय और डिफेंस सेक्टर में बन रही अलीगढ़ की नई पहचान को देखकर बहुत खुश हुए होते। जहां एक ओर जाट राजा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के प्रभावशाली व्यक्ति राजा महेन्द्र सिंह के नाम पर यूनिवर्सिटी का शिलान्यास कर जाट वोटों को बीजपी के पाले पर लाने का प्रयास किया तो वहीं सपा सुप्रीमो और यूपी के पूर्व मुख्यमन्त्री अखिलेश यादव ने इसा बीजपी का चुनावी स्टंट बताया। उनका कहना है कि साढ़े चार साल बाद अब बीजेपी को जाट राजा महेन्द्र प्रताप की याद आई है ये एक चुनावी प्रोपोगण्डा है। चुनाव नजदीक आते ही बाबाजी की भाषा बदल गई है।
अटल बिहारी बाजपई को हराया था लोकसभा चुनाव
महेन्द्र प्रताप सिंह वही थे जो आजादी के बाद 1947 में भारत लौटे और 1957 में मथुरा लोकसभा सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर चुनाव लड़ा।राजा महेन्द्र प्रताप ने भाजपा के सबसे बड़े नेताओं में शामिल पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी मात दी थी। वह एक जाट आइकॉन थे। इस चुनाव में जनसंघ प्रत्याशी अटल बिहारी वाजपेयी चौथे स्थान पर रहे थे, जबकि निर्दलीय उम्मीदवार राजा महेंद्र प्रताप सिंह ने जीत दर्ज की थी। हालांकि बलरामपुर सीट से वाजपेयी करीब साढ़े नौ हजार वोटों से जीतकर लोकसभा पहुंचे थे। उन्हीं राजा महेंद्र प्रताप सिंह के नाम पर योगी सरकार अलीगढ़ में यूनिवर्सिटी का निर्माण करा रही है जिसे लेकर विपक्ष यादें ताजा कराने में जुटा है।
राजा महेन्द्र सिंह के नाम का बीजेपी को मिल सकता फायदा
राजा महेंद्र प्रताप सिंह को दक्षिण अफ्रीका में महात्मा गांधी के आंदोलन में भागीदार बनने, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने और ब्रिटिश क्रूरताओं को उजागर करने के लिए 1932 में नोबेल शांति पुरस्कार के लिए नामित किया गया था। उन्होंने द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान 1940 में जापान में भारत के कार्यकारी बोर्ड की स्थापना की थी। भारत सरकार ने उनके सम्मान में 1979 में डाक टिकट जारी किया था। राजा महेन्द्र सिंह जाटों के दिलों पर राज करते हैं और ऐन वक्त पर चुनाव के पहले बीजेपी ने उनके नाम पर यूनिवर्सिटी बनाकर न केवल जाट बल्कि पूरे पश्चिमी उत्तर प्रदेश में वोटों में सेंधमारी का आगाज कर दिया है जिसका फायदा बीजेपी को 2022 में मिलना तय है।