के न्यूज़ लखनऊ, कानपुर के छत्रपति शाहू जी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर के कुलपति प्रोफेसर विनय पाठक के नए-नए किस्से रोज उजागर हो रहे हैं बीते लंबे समय से भूमिगत हो चुके प्रोफेसर विनय पाठक सरकार के रडार पर हैं. सूत्रों की माने तो ताजा मामला पत्रावलीयों में उनके अलग-अलग हस्ताक्षर से जुड़ा है. विनय पाठक ने वित्तीय दस्तावेजों पर अपने अलग-अलग तरीके के हस्ताक्षर किए ….कई जगह पर टेढ़ी-मेढ़ी बड़ी लकीरें खींची हैं तो कई जगह पर वी के हस्ताक्षर दिख रहे हैं… विनय पाठक की इस कार्य के शैली से यह स्पष्ट हो रहा है की अलग-अलग हस्ताक्षर करने के पीछे विनय पाठक की मंशा कुछ और थी….. लेकिन इसका खुलासा तब हो सकता है जब जांच एजेंसियां उन्हें गहनता से पूछताछ करें …..उत्तर प्रदेश के दो तकनीक तीन सामान्य विश्वविद्यालयों में भ्रष्टाचार की पड़ताल के बाद लगभग विनय पाठक के 2 दर्जन से अधिक तरीके के हस्ताक्षर सामने आने की बात कही जा रही है. लगभग 5 विश्वविद्यालय में 10000 करोड़ से अधिक के निर्माण कार्य और उपकरण खरीद की मंजूरी देने वाले कुलपति ने वित्तीय मामलों में हस्ताक्षर के स्थान पर अलग-अलग आकृतियां बनाई. एकेटीयू के 2 टन में उन्होंने तकरीबन 5000 करोड रुपए की वित्तीय पत्रावली के ऊपर हस्ताक्षर किए जो एक दूसरे से मिलते नहीं हैं .सवाल यह है कि इतने अलग तरीके के हस्ताक्षर करने के पीछे का कारण क्या था क्या वह जानते थे कि किसी ना किसी दिन वित्तीय अनियमितताओं की जांच होगी और उन पर शिकंजा कसेगा और शायद उस शिकंजे से निकलने के लिए वे यह कहकर भी साफ बच जाएंगे कि हस्ताक्षर फर्जी हैं लेकिन यदि सीबीआई ने जांच से इनकार किया तो क्या एसटीएफ कुलाधिपति कार्यालय से पूछताछ की अनुमति मिलेगी., यूपी स्पीयर के पास अगर जांच बनी रहती तो हंसी लिपि विशेषज्ञों से जल्द हस्ताक्षर का मिलान हो पाता वैसे यदि सीबीआई जांच शुरू कर दी है तो यह वह भी इस बिंदु को नजरअंदाज नहीं कर सकेगी.