गोरखपुर जिले में परिषदीय विद्यालयों में पढ़ने वाले बच्चों की दुश्वारियां कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। जहां पहले कोरोना महामारी के चलते डेढ़ वर्षों तक पढ़ाई प्रभावित रही तो वहीं अब हालात सामान्य होने के बाद स्कूल खुले तो कई विद्यालयों में बाढ़ व बरसात का पानी भर गया, जिसमें बच्चों की पढ़ाई ‘डूब’ ही गयी। जिले में तकरीबन 155 से ज्यादा परिषदीय स्कूल बाढ़ व बरसात के पानी से घिरे हुए हैं, तो कई स्कूलों में चार से छः फीट तक पानी भरा हुआ है। बाढ़ और बारिश के पानी में फर्नीचर के साथ-साथ भवन और अन्य आवश्यक सामान भी डूब गए हैं। ऐसे में बाढ़ में ‘डूबी’ परिषदीय विद्यालयों के बच्चों की पढ़ाई पर ग्रहण लगता दिख रहा है।
असहाय दिख रहे हैं अधिकारी और अध्यापक
अब ऐसे में एहतियात के तौर पर बेसिक शिक्षा विभाग ने बाढ़ से प्रभावित विद्यालयों में कक्षाओं का संचालन निलंबित कर दिया है। साथ ही शिक्षकों को करीब के दूसरे विद्यालय या ऊंचे स्थानों पर कक्षाएं चलाने का निर्देश दिया है। जिम्मेदारों का कहना है कि बाढ़ की चपेट में आने वाले विद्यालयों की संख्या 200 से पार जा चुकी है। ऐसा मंजर वर्ष 2017 में भी देखने को मिला था तब भी बाढ़ ने जिले के 100 से ज्यादा विद्यालयों को प्रभावित किया था लेकिन इस बार कुछ ज्यादा ही दिक्कतें आ रही हैं। यहां तक की यहां पढ़ाने वाले अध्यापक भी यहां की स्थिति को बयां कर रहे हैं। यहां तक की बेसिक शिक्षा अधिकारी भी असमर्थता जताते दिखाई दिए।
20 साल बाद दिखाई दिया ऐसा मंजर
आप को बता दें कि बाढ़ का ऐसा मंजर गोरखपुर में तकरीबन 20 साल बाद देखने को मिला है जिससे विद्यालयों से लेखकर आम जिंदगी को भी तहस-नहस कर दिया। जहां एक तरफ लोग बाढ़ से बचने के लिए लोग रिश्तेदारों के यहां शरण लिए हैं तो वही बाढ़ और बारिश के पानी से प्रभावित विद्यालय भी इसकी चपेट में हैं जिससे बच्चों की शिक्षा पर खासा असर पड़ रहा है। जिले के डेढ़ सौ से अधिक परिषदीय स्कूल बाढ़ के पानी से घिरे हुए हैं, तो कई स्कूलों में चार से छः फीट तक पानी भरा हुआ है। अब ऐसे में पानी निकलने के बाद भी पढ़ाई शुरू करना इतना आसान नहीं होगा, क्योंकि जिन विद्यालयों में बाढ़ का पानी इस कदर भरा है, उनमें पानी निकलने के बाद भी बाढ़ की वजह से स्कूल के भवनों की स्थिति जर्जर हो चुकी होगी, ऐसे में उनकी मरम्मत के बिना अध्यापन कार्य शुरू करना जोखिम भरा होगा।