चुनाव नजदीक आते ही सभी पार्टियों को वोटरों की याद आने लगी है। बीजेपी, बीएसपी और सपा जहां प्रबुद्ध सम्मेलनों का आयोजन कर वर्ग विशेष के वोटरों को रिझाने का प्रयास करती दिखाई दे रही हैं तो वहीं एआईएमआईएम के अध्यक्ष असदउद्दीन ओवैसी को भी यूपी दिखाई देने लगा और ओवैसी तीन दिनों के यूपी दौरे पर आ गए। सबसे पहले मंगलवार को उनका अयोध्या दौरा और फिर इसके बाद सुल्तानपुर और बाराबंकी के दौरे का कार्यक्रम है। ओवैसी का दौरा तो अयोध्या का था लेकिन उनका फैजाबाद प्रेम साफ दिखाई दिया। यही कारण रहा कि उन्होंने कहीं भी अयोध्या जाने का जिक्र नहीं किया बल्कि यही कहा कि मेरा फैजाबाद का दौरा है। मामला यहीं नहीं खत्म होता ओवैसी की जनसभा स्थल में लगे स्वागत बैनरों में भी गांव रुदौली जिला फैजाबाद लिखा हुआ था। हालांकि सन्तों की नाराजगी के बाद पुलिस ने आनन फानन में फैजाबाद लिखे स्थान पर काला टेप लगवाया।
अब फैजाबाद को लेकर विवादों में ओवैसी
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन यानी AIMIM के प्रमुख असुदद्दीन ओवैसी पहले से ही अपने विवादित बयानों के कारण चर्चा में रहते हैं बीजेपी के धुर विरोधी ओवैसी एक बार फिर यूपी विधानसभा चुनाव के पहले अभियान की शुरुआत करने निकल पड़े हैं और इसके लिए उन्होंने चुना राम की नगरी अयोध्या। ओवैसी अयोध्या दौरे पर तो रहे लेकिन उनके जहन से फैजाबाद का नाम नहीं मिट रहा यही कारण है कि उन्होंने एक बार भी नहीं कहा कि मैं अयोध्या जा रहा हू जबकि ये जरूर कहा कि मैं फैजाबाद के रुदौली जा रहा हूं। ओवैसी के यूपी में चुनाव लड़ने से बीजेपी को नुकसान होता नहीं दिखाई दे रहा बशर्ते मुस्लिम वोटों के बिखराव का सीधा फायदा बीजेपी को मिलता दिखाई दे रहा है। ओवैसी को राम क नगरी अयोध्या से गुरेज है और यही कारण है कि ओवैसी ने इतिहास के पन्नों में दर्ज फैजाबाद को फिर से ताजा करने का प्रयास किया है साथ ही बैनरों में फैजाबाद लिखाकर सियासी उन्माद बढ़ाने का प्रयास किया।
2018 में फैजाबाद हो गया था जनपद अयोध्या
आपको बता दें कि फैजाबाद का नाम बदलकर योगी सरकार ने अयोध्या रख दिया है और वो भी तीन साल पहले। यानी नवंबर 2018 में ही फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या कर दिया गया था लेकिन ओवैसी के दिलो दिमाग पर अभी तक फैजाबाद ही बसा हुआ है हालांकि साधू सन्तों ने भी ओवैसी के इस बयान की निन्दा की है। मुख्यमन्त्री योगी आदित्यनाथ ने साल 2018 में बाकायदा फैजाबाद का नाम बदलकर अयोध्या रखे जाने का एलान भी किया था। वहीं बाबरी मस्जिद के पक्षकार रहे अंसारी परिवार भी ओवैसी के बयान से सहमत नहीं हैं। ओवैसी लगभग सभी मंचों से बाबरी मस्जिद को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले को गलत साबित कर चुके हैं और शायद अब यूपी और खासकर अयोध्या आने के बाद यूपी के मुसलमानों को शायद यही समझाएंगे। लेकिन ये साफ हो चुका है कि अयोध्या आने वाले विधानसभा चुनाव का गढ़ बन गया है और सभी की निगाहें अयोध्या पर टिकी हुई हैं। अगस्त 20 में मोदी ने राम मन्दिर निर्माण का मार्ग प्रशस्त होते ही मोदी ने भी इशारों में बाबरी मस्जिद ढहने का जिक्र कर दिया था लेकिन ओवैसी को ये नागवार गुजरा था। ओवैसी साहब भले ही अयोध्या का नाम अपने मुंह से लेने में गुरेज कर रहे हों लेकिन बाबरी मस्जिद की कसक कहीं न कहीं उनके अन्दर दिखाई दे रही है और शायद यही मुद्दा लेकर ओवैसी मुस्लिमों के पास जाने की शुरूआत अयोध्या से कर चुके हैं।