यूपी जीतने के लिए जाटलैंड की 136 सीटों जीतना बहुत अहम होगी, क्योंकि पश्चिम की जनता जिसे चुनाव सत्ता में उसी की ही सरकार बनी है । फिर चाहे मायावती हो ,अखिलेश ,जयंत चौधरी हो या फिर बीजेपी सभी को जाटलैंड ने एक एक मौका दिया है , बात कर ली जाए 2017 के रण की तो यहां की जनता ने बीजेपी का खुलकर समर्थन किया था और पश्चिम के रण में फतह हासिल की थी
2017 और 2022 के चुनाव में बहुत अंतर है । क्योंकि इस चुनाव में सभी बड़े दल एकला चलों की राह में सुर अलाप रहे हैं , जाटलैंड में जाटों की सख्या ज्यादा है जिसकी पाले में जाट वोटर गए उसकी बल्ले बल्ले हो गई, इस बार पश्चिम की जनता सरकार से कुछ खफा-खफा है, शायद किसान बिल को लेकर नाराज चल रही है और सियासी दल किसानों पर राजनीति करने से बाज नहीं आ रहे हैं, सीएम योगी ने गन्ना किसानों को तोहफा देते हुए उनके समर्थन मूल्य में इजाफा भी किया है ।
उत्तर प्रदेश में 2022 में होने वाले विधानसभा चुनाव को लेकर राजनीतिक दलों ने कमर कस ली है. क्योंकि देश के सबसे बड़े प्रदेश पर सभी राजनीतिक पार्टियों की नजर होती है. सत्ताधारी दल बीजेपी, समाजवादी पार्टी, बहुजन समाज पार्टी और कांग्रेस समेत सभी दलों में हलचल शुरू हो गई है, पश्चिम का रण जितना इतना आसान नहीं होता है क्योंकि यहां की जनता स्थानीय मुद्दों को लेकर ज्यादा सक्रिय रहती है ।
2017 के विधानसभा चुनाव में पश्चिम का ये जिला बीजेपी को प्रचंड समर्थन दिया और सभी सीटों पर भगवा लहराया अब देखने वाली बात होगी की 2017 के इतिहास को क्या बीजेपी दोहरा पाती है –या विरोधी दल बीजेपी पर भारी पड़ते हैं
- सिकंदराबाद बीजेपी विमला सिंह सोलंकी
- बुलंदशहर बीजेपी वीरेन्द्र सिंह सिरोही
- स्याना बीजेपी देवेन्द्र सिंह लोधी
- अनूपशहर बीजेपी संजय शर्मा
- डिबाई सीट बीजेपी अनीता लोधी राजपूत
- शिकारपुर बीजेपी अनिल कुमार
- खुर्जा बीजेपी विजेन्द्र सिंह खटीक
तो ये थे बुलंदशहर के सिंकदर जिन्होने जीत का परचम लहराया 2017 में बुलंदशहर की जनता सभी विधानसभा सीटों पर बीजेपी को मौका दिया, जबकि उससे पहले ये पूरा गढ़ बसपा का माना जाता था लेकिन बीजेपी के च्रव्यूह में सपा ,बसपा और आरएलडी के साथ साथ कांग्रेस चारों खाने चित्त हो गई ।
अभी तक तो बात हुई बुलंदशहर के सभी विधानसभा सीटों पर और अब बात करते है बुलंदशहर के अन्तर्गत आने खुर्जा सीट की आखिरकार साढ़े चार सालों में बीजेपी के विजेन्द्र सिंह खटीक ने आखिरकार कितना काम किया और जनता की उम्मीदों पर कितना खरे उतरे ।
खुर्जा की पहचान क्रॉकरी उद्योग के नाम पूरे देश में जाना जाता है, देश विदेश तक यहां से क्रॉकरी की सप्लाई की जाती है, लेकिन कोरोना की वजह से यहा पर उद्योग धंधे चौपट हो गया है । तो आपने पढ़ा आखिर यहां की जनता क्या सोचती है और क्या 2022 में करेगी। मोटी मोटा ये हिसाब लगाया जा सकता है की महंगाई और बेरोजगारी के साथ साथ सरकारी सुविधाओं का लाभ आम आदमी को नहीं मिला है ।