द केरला स्टोरी संजोग या प्रयोग
द कश्मीर फाइल्स पठान और अब केरला स्टोरी
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज 11.30 बजे कैबिनेट के साथ देखेंगे द केरला स्टोरी
रिपोर्ट: मनीष श्रीवास्तव
लखनऊ, फिल्म समाज का आईना होती है लेकिन मौजूदा दौर में फिल्म की कहानी से लेकर फिल्मी किरदार सभी सियासी चश्मे से अधिक देखे जा रहे हैं या यूं कहें कि सामाजिक विचारधारा में राजनीति का रंग फिल्मों के माध्यम से और चटक हो रहा है. समाज के इस आईने पर राजनीति की ऐसी परत चढ़ चुकी है जिसे अलग कर फिल्म देख पाना बेहद मुश्किल होता जा रहा है. किसी फिल्म का राज्यों में टैक्स फ्री होना और नेताओं का फिल्म को इस कदर समर्थन करना भले ही नई बात ना हो लेकिन बीते कुछ वर्षों में फिल्मों का नाम चुनावी जनसभाओं में भी जमकर लिया जाने लगा है. ऐसे ही हालात मौजूदा समय में नजर आए जिसमें द केरला स्टोरी फिल्म का नाम चुनावी जनसभा में नेताओं द्वारा बार-बार दोहराया गया. द केरला स्टोरी केरल की उन महिलाओं की कहानी है जिन्हें धर्मांतरण के बाद सीरिया में ले जाया गया. फिल्म का एक डायलॉग इन दिनों बेहद चर्चा का विषय बना हुआ है. ग्लोबल एजेंडा है. अगले 20 साल में केरल इस्लामिक स्टेट बन जाएगा.
फिल्मों को लेकर एक तरफ टेक्स्ट और एक तरफ बैन करने की प्रथा जोरों पर चल रही है. केरला स्टोरी को सबसे पहले मध्य प्रदेश में टैक्स फ्री किया तो बीते मंगलवार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ‘द केरला’ को टैक्स फ्री कर दिया. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ फिल्म के किरदार निभाने वाले कलाकारों को मुख्यमंत्री आवास पर बुलाकर मुलाकात की. आज मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द केरला स्टोरी को अपनी पूरी कैबिनेट के साथ देख रहे हैं लेकिन फिल्म का मैसेज साफ है कि धर्मांतरण को लेकर बनाई इस फिल्म को बीजेपी चुनावी एजेंडा भी बना रही है तो वहीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी इस फिल्म पर बैन लगा रही हैं. एमसी का कहना है कि द केरला स्टोरी दिखाए जाने से राज्य की शांति व्यवस्था बिगड़ जाएगी. लेकिन पश्चिम बंगाल सरकार द्वारा राज्य में फिल्म ‘द केरल स्टोरी’ दिखाने पर प्रतिबंध लगाए जाने के फैसले से कुछ पक्ष तो कुछ विरोध में नजर आए. जो लोग प्रतिबंध के खिलाफ हैं, वे तीन अलग-अलग तार्किक आधारों का हवाला देते हैं – पहला, एक फिल्म पर प्रतिबंध लगाने का क्या औचित्य है, जिसे सेंसर बोर्ड से मंजूरी मिल गई है. दूसरा, ओटीटी के इस युग में प्रतिबंध की प्रभावशीलता नहीं रह पाएगी, जब जल्द ही फिल्म ओटीटी प्लेटफॉर्म पर उपलब्ध होगी और तीसरा, फिल्म पर प्रतिबंध लगाकर वास्तव में सरकार ने इसके प्रति लोगों में क्रेज बढ़ा दिया है।
सिंगलस्क्रीन सिनेमाघरों से लेकर मल्टीप्लेक्स थियेटरों की बात करें तो इन दिनों यहां के बॉक्स आफिसों पर ‘द केरल स्टोरी’ ऐसा धमाल मचा रही है कि, जिसका अभी तक सिनेमा के जानकारों ने कोई अंदाजा नहीं लगाया था। जानकारी के तहत अभी तक यह फिल्म लखनऊ समेत पूरे प्रदेश में तकरीबन सात से आठ करोड़ का बिजनेस कर चुकी है और आगे इसके सारे शोज हाउसफुल जा रहे हैं। कॉमर्शियल काम्प्लेक्स एंड मल्टीप्लेक्स एसोसिएशन के महासचिव व यूपी सिनेमा एक्हीबिटर्स फेडरेशन एसोसिएशन के अध्यक्ष आशीष कुमार अग्रवाल की मानें तो इससे पहले द कश्मीर फाइल्स तो उसके बाद पठान मूवी ने थियेटरों को जबरदस्त ओपनिंग दिलवायी थी। पठान मूवी ने तो केवल देश-प्रदेश में ही कुलमिलाकर 1100 करोड़ का सिनेमाई कारोबार किया था। वहीं फिल्मी समीक्षकों द्वारा यह भी अंदाजा लगाया जा रहा है कि जिस रफ्तार से द केरल स्टोरी हर वर्ग के दर्शकों को सिनेमाघरों व मल्टीप्लेक्स की ओर खींच रही है, यह भी रिकॉर्ड तोड़ बिजनेस करेगी।
लोकभवन के ऑडिटोरियम में 11:30 बजे के करीब अपने मंत्रिपरिषद की पूरी टीम के साथ द केरल स्टोरी देख सकते हैं। वैसे बता दें कि मौजूदा समय में राजधानी लखनऊ में 58 सिंगलस्क्रीन हैं जबकि यूपी में 150 के आसपास बचे हैं।
टैक्स फ्री होने से कोई खास राहत नहीं!
कहने को तो यूपी में द केरल स्टोरी को टैक्स फ्री कर दिया गया। ऐसे में आमजन के बीच यही आम धारणा चल रही है कि अब शोज के टिकट काफी सस्ते हो जायेंगे, मगर इसके पीछे केवल आंकड़ों का खेल है। फिल्मी जानकारों की मानें तो उदाहरण के तौर पर यदि मल्टीप्लेक्स में किसी शो का टिकट मूल्य 200 रुपये है तो, टैक्स फ्री के रूप में केवल इसमें से 9.5 फीसद मूल्य की कटौती होगी यानी असल रेट 192.50 रुपये होगा।
ऐसा इसलिये क्योंकि पूरे टिकट मूल्य पर 18 फीसद टैक्स आरोपित होता है जिसमें से 9.5 फीसद सेंट्रल जीएसटी तो 9.5 फीसद स्टेट जीएसटी का भाग होता है। ऐसे में यदि कोई राज्य सरकार अपने यहां किसी मूवी को टैक्स फ्री करती है तो केवल अपने ही भाग को कम कर सकती है। यानी कुलमिलाकर इस प्रकार के टैक्स फ्री होने से न तो सिनेमा मालिकों, मल्टीप्लेक्स संचालकों को और न ही दर्शकों को कोई खास राहत मिलने वाली है। जबकि इससे पूर्व जब प्रदेश में मनोरंजन कर विभाग का अस्तित्व था तो उस दौरान यदि किसी का टिकट मूल्य 100 रुपये है तो टैक्स फ्री होने का मतलब सीधे 40 रूपये की कमी।