उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड विधानसभा के विशेष सत्र ने इस साल इतिहास रच दिया. विशेष सत्र में सरकार ने दो महत्वपूर्ण विधेयक पारित किए हैं। सरकार ने समान नागरिक संहिता यानि की (यूसीसी) और राज्य आंदोलनकारियों के आरक्षण संबंधी विधेयक को भी सरकार ने सदन में पारित करा लिया है। सरकार के इस फैसले से राज्य आंदोलनकारियों को सरकारी नौकरियों में 10 फीसदी क्षैतिज आरक्षण का लाभ देने का रास्ता साफ हो गया। वहीं विधानसभा में सूसीसी का विधेयक पारित होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल देखने को मिला….ढ़ोल नगाड़ों और आतिश्बाजी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सभी कार्यकर्ताओं ने आभार व्यक्त किया….वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने यूसीसी विधेयक के पारित होने को ऐतिहासिक कदम बताया। उन्होंने सदन में कहा कि हम हमेशा अनेकता में एकता की बात करते हैं। यही भारत की विशेषता है और यह विधेयक भी उसी एकता की बात करता है। मुख्यमंत्री ने बताया कि यूसीसी विधेयक राजभवन की मंजूरी के बाद इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा..राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद राज्य में यूसीसी लागू हो जाएगा….वहीं विधानसभा से पारित होने पर अब यूसीसी को देश में लागू करने की मांग की जा रही है। हांलाकि विपक्ष सरकार के यूसीसी कानून से खुश नहीं है। कांग्रेस ने सरकार से सदन में यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की सिफारिश की है. विपक्ष का कहना है कि सरकार के यूसीसी बिल में कई खामियां है जिसे दूर किया जाना चाहिए इसके लिए इसे प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए इतना ही नहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में यूसीसी को लागू करने की तैयारी कर रही है, क्योंकि चुनाव नजदीक है…वहीं भाजपा यूसीसी के मुद्दे पर अब इसे लोकसभा चुनाव में भुनाने जा रही है। खासकर, यूसीसी में मातृशक्ति के लिए सुनिश्चित किए अधिकारों को लेकर भाजपा उत्साहित है। बता दें कि 2022 के विधानसभा चुनाव में पुरूषों से ज्यादा रिकॉर्ड 67 प्रतिशत मतदान महिलाओँ ने किया था. ऐसे में सवाल ये है कि क्या भाजपा को बड़ा चुनावी हथियार मिल गया है
लोकसभा चुनाव से पहले भाजपा ने अपने तमाम बड़े दांव चल दिए हैं….जनवरी में प्रभु श्री राम की प्राण प्रतिष्ठता के बाद फरवरी में उत्तराखँड विधानसभा से यूसीसी विधेयक को पारित करा दिया गया है। सदन से पारित होने के बाद अब यूसीसी विधेयक राजभवन की मंजूरी के बाद इस विधेयक को राष्ट्रपति की मंजूरी के लिए भेजा जाएगा….वहीं विधानसभा में सूसीसी का विधेयक पारित होते ही भाजपा कार्यकर्ताओं में जश्न का माहौल देखने को मिला….ढ़ोल नगाड़ों और आतिश्बाजी के साथ मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी का सभी कार्यकर्ताओं ने आभार व्यक्त किया….वहीं मुख्यमंत्री पुष्कर धामी ने यूसीसी विधेयक के पारित होने को ऐतिहासिक कदम बताया है। वहीं विपक्ष सरकार के यूसीसी कानून से खुश नहीं है। कांग्रेस ने सरकार से सदन में यूसीसी विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की सिफारिश की थी. विपक्ष का कहना है कि सरकार के यूसीसी बिल में कई खामियां है जिसे दूर किया जाना चाहिए इसके लिए इसे प्रवर समिति को सौंपा जाना चाहिए इतना ही नहीं विपक्ष का कहना है कि सरकार जल्दबाजी में यूसीसी को लागू करने की तैयारी कर रही है, क्योंकि चुनाव नजदीक है..
वहीं विधानसभा से पारित होने के बाद अब यूसीसी को देश में लागू करने की मांग की जा रही है। वहीं यूसीसी के साथ ही धामी सरकार ने राज्य आंदोलनकारियों की सालों पुरानी 10 प्रतिशत क्षैतीज आरक्षण की मांग को भी पूरा करने की तैयारी कर ली है। सरकार ने सदन में सर्वसम्मति से उत्तराखंड राज्य आंदोलन के चिन्हित आंदोलनकारियों या उनके आश्रितों को राजकीय सेवा में आरक्षण विधेयक सर्वसम्मति से पारित कर दिया है। आठ सितंबर, 2023 को यह विधेयक विधानसभा के पटल पर रखा गया था, लेकिन सत्ता और विपक्ष के कुछ विधायकों की तरफ से विधेयक में खामियां गिनाते हुए इसे प्रवर समिति को सौंपने की मांग की थी। जिसके बाद संसोधित विधेयक को विशेष सत्र में पारित करा दिया गया है। वहीं राज्य आंदोलनकारी सरकार से मांग कर रहे हैं कि जल्द राज्य आंदोलनकारियों की चिन्हिकरण की मांग को भी पूरा किया जाए
कुल मिलाकर उत्तराखंड विधानसभा ने इतिहास रच दिया है. विशेष सत्र में सरकार ने जहां दो महत्वपूर्ण विधेयकों को पारित कराया है तो वहीं अब उत्तराखंड राज्य पहला राज्य बन गया है। जहां से यूसीसी विधेयक विधानसभा से पारित हुआ है…हांलाकि विपक्ष की ओर से अब भी यूसीसी पर सवाल खडे किए जा रहे हैं. साथ ही बीजेपी पर यूसीसी के सहारे चुनावी लाभ लेने का भी आरोप लगाया जा रहा है। सवाल ये है कि क्या उत्तराखंड के बाद अब देश में भी यूसीसी लागू करने की तैयारी में है बीजेपी, क्या चुनाव में बीजेपी को यूसीसी का सियासी लाभ मिल पाएगा