राम रहीम की कहानी, सियासत में जुबानी !

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, देवभूमि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले रामायण और कुरान पर नई सियासत शुरू हो गई है। दअरसल सरकार ने राज्य के मदरसों में बच्चों को रामायण का पाठ पढ़ाने का फैसला लिया है। प्रदेश के 117 मदरसों में आगामी सत्र से इसे लागू किया जाएगा। उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने कहा है कि वक्फ बोर्ड के अंतर्गत आने वाले मदरसों में बच्चों को रामायण का पाठ पढ़ाया जाएगा..वहीं इससे पहले शादाब शम्स ने मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की भी बात कही थी.. उनका तर्क है कि ऐसा करने से बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ सकेंगे। हांलाकि मदरसों में बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के फैसले का मुस्लिम मौलानाओं की ओर से जबरदस्त विरोध देखने को मिला था। वहीं अब रामयायण के पाठ पर नया बवाल शुरू हो गया है। इनसबके बीच मुस्लिम समुदाय से जुडे संगठनों ने सरकार के सामने बड़ी मांग रखी है। इसके तहत आम इंसान विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकिल अहमद ने कहा है कि राज्य सरकार ने जब मदरसों में श्रीराम की कथा पढ़ाने का आदेश दिया हैतो फिर सरकारी व निजी स्कूलों में भी कुरान शरीफ पढ़ाई जानी चाहिए…हांलाकि अकिल अहमद की इस मांग को सत्तापक्ष ने जायज नहीं माना है उनका कहना है कि देवभूमि में कुरान पढ़ाने की मांग सही नहीं है..जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया है…कांग्रेस ने सर्व धर्म सम भाव की बात कही है..

उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव नजदीक है चुनाव से पहले राज्य में धार्मिक मुद्दों पर सियासत शुरू हो गई है। राम की भक्ति के बीच राज्य में रामायण और कुरान पर नई बहस शुरू हो गई है। एक तरफ जहां सरकार ने राज्य के मदरसों में बच्चों को रामायण का पाठ पढ़ाने का फैसला लिया है। तो वहीं दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय से जुडे संगठनों ने भी सरकार बच्चों को कुरान पढ़ाने की मांग की है। इसके तहत आम इंसान विकास पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष आकिल अहमद ने कहा है कि राज्य सरकार ने जब मदरसों में श्रीराम की कथा पढ़ाने का आदेश दिया हैतो फिर सरकारी व निजी स्कूलों में भी कुरान शरीफ पढ़ाई जानी चाहिए…

आपको बता दें कि प्रदेश के 117 मदरसों में आगामी सत्र से रामायण का पाठ पढ़ाने की सरकार की योजना है..उत्तराखंड वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष शादाब शम्स ने इससे पहले मदरसों में संस्कृत पढ़ाने की भी बात कही थी.. उनका तर्क है कि ऐसा करने से बच्चे अपनी संस्कृति से जुड़ सकेंगे। हांलाकि मदरसों में बच्चों को संस्कृत पढ़ाने के फैसले का मुस्लिम मौलानाओं की ओर से जबरदस्त विरोध देखने को मिला था। वहीं अब रामयायण के पाठ पर नया बवाल शुरू हो गया है। वहीं सत्तापक्ष ने आकिल अहमद की कुरान पढ़ाने की मांग को नाजायज करार दिया है। वहीं क्षेत्रीय दल ने संविधान के अनुपालन की सरकार से मांग की है..जबकि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस ने भाजपा पर धर्म की राजनीति करने का आरोप लगाया है…कांग्रेस ने सर्व धर्म सम भाव की बात कही है..

कुल मिलाकर देवभूमि उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले रामायण और कुरान पर नई बहस शुरू हो गई है। एक तरफ जहां सरकार मदरसों में रामायण का पाठ और संस्कृत को पढ़ाने के पीछे बच्चों को संस्कृति से जोड़ने का तर्क     दे रही है. तो दूसरी ओर मुस्लिम समुदाय भी कुरान पढ़ाने की सरकार से मांग कर रहा है. ऐसे में सवाल ये है कि क्या मदरसों में संस्कृत और रामायण के पाठ के बहाने धार्मिक ध्रुवीकरण की राजनीति है या फिर असल में संस्कृति को बचाने की कोशिश है. सवाल तो ये भी है कि आखिर कितने मौलाना संस्कृत और रामायण का पाठ पढ़ाने के लिए तैयार है

 

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