देहरादून– उत्तराखंड के ज्यादा से ज्यादा नौजवान भारतीय सेना में अपनी सेवा देते है। उत्तराखंड में शहीद होने वाले सैनिकों की संख्या भी अधिक है। वहीं अब देश के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले शहीदों, सैनिकों की स्मृतियों को चिर स्थाई बनाने के लिए व्यक्तिगत नाम से शहीद स्मारक और शहीद द्वार बनाए जाएंगे।
जिलाधिकारी के स्तर से स्मारक और स्मृति द्वार के प्रस्ताव तैयार किए जाएंगे और सैनिक कल्याण विभाग की ओर से सीधा बजट मैहया कराया जाएगा। वहीं अब सरकार ने शहीद स्मारक और स्मृति द्वार बनाने का काम संस्कृति विभाग से लेकर सैनिक कल्याण विभाग केा सौंपा दिया है। सैनिक कल्याण सचिव दीपेन्द्र कुमार चौधरी के दिशा निर्देश मे ही स्मारक और द्वार निर्माण की गाइड लाइन तैयार की जा रही है। सूत्रों के अनुसार कुछ समय पूर्व ही सैनिक कल्याण विभाग ने यह प्रस्ताव मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सामने रखा था।
प्रस्ताव रखने के पीछे तर्क दिया गया कि संस्कृति विभाग के स्तर पर स्मारक और द्वार बनाने का काम बिल्कुल भी संतोष नहीं है। विभाग का कहना कि देवभूमि देश को औसत सर्वाधिक सैन्य अफसर और सैनिक देने वाला राज्य है। ऐसे में देश पर उनके उपकार को भुलाया नहीं जा सकता इस प्रस्ताव पर तत्काल संज्ञान लेते हुए सीएम की घोषणा के बाद संस्कृति विभाग से यह जिम्मेदारी हटाई जा चुकी है।जानकारी के अनुसार वर्तमान में राज्य में शहीद सैनिकों की संख्या 1700 से ज्यादा है। इनमे सभी के स्मारक स्मृति द्वार नहीं बने है।