ना नेता, ना पैसा, फिर चुनाव कैसा ?  

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव नजदीक है. तमाम राजनीतिक दल इस दंगल को जीतने की तैयारियों में लगे हुए हैं। वहीं उत्तराखंड में लोकसभा चुनाव से पहले ही तमाम विपक्षी दलों के सामने बड़ी चुनौती खड़ी हो गई है। दअरसल विपक्षी दलों के सामने आर्थिक चुनौती और कार्यकर्ताओं का टोटा सामने आ गया है। आलम ये है कि मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस भी इससे अछूती नहीं है। हालत ये है कि उत्तराखंड में कांग्रेस के उन्नीस विधायक, कई जिला पंचायत अध्यक्ष, ब्लॉक प्रमुख और निकाय प्रमुख होने के बावजूद अपने सबसे बड़े क्राउड फंडिंग अभियान में उम्मीद से कम चंदा मिला है। लोकसभा चुनाव से पहले चुनावी फंड जुटाने के लिए कांग्रेस ने 28 दिसंबर को ‘डोनेट फॉर देश’ अभियान शुरू किया था। पार्टी के 138वें स्थापना वर्ष में शुरू इस अभियान के तहत कांग्रेस ने आम लोगों के साथ ही अपने कार्यकर्ताओं-पदाधिकारियों से न्यूनतम 138 से लेकर अधिकतम एक लाख 38 हजार रुपये तक चंदा देने की अपील की गई थी। हांलाकि इसमें कोई खास सहयोग नहीं मिला. जिसके बाद पार्टी ने राहुल गांधी की न्याय यात्रा के लिए भी चंदा जुटाने के लिए, इसी तरह का दूसरा अभियान शुरू किया, लेकिन दोनों अभियान को उत्तराखंड में उम्मीदों के मुताबिक सहयोग नहीं मिला। सूत्रों के अनुसार, पार्टी को ‘डोनेट फॉर देश’ अभियान में अब तक कुल 13.08 लाख रुपये जबकि ‘डोनेट फॉर न्याय यात्रा’ के लिए महज 11.99 लाख रुपये का चंदा मिला है। कांग्रेस की आर्थिक कमजोरी का असर पार्टी के कार्यक्रम और कार्यकर्ताओं पर भी पड़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ बीजेपी पूरी ताकत के साथ चुनाव की तैयारियों में लगी हुई है। सीएम धामी के रोजाना ऐसे रोड शो हो रहे हैं जैसे की मानों कल ही आचार संहिता लगने वाली हो, वहीं उत्तराखंड भाजपा की तैयारियों को केंद्र का भी भरपूर सहयोग मिल रहा है। बताया जा रहा है कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर गृहमंत्री अमित शाह भी इसी माह उत्तराखंड आ सकते हैं। इसके अलावा राजनाथ सिंह, नितिन गड़करी जैसे तमाम दिग्गज केंद्रीय नेता भी उत्तराखंड दौरे पर हैं। ऐसे में सवाल ये है कि आखिर कार्यकर्ताओं के टोटे और आर्थिक तंगी से लड़ रहा विपक्ष कैसे भाजपा के जीत के रथ को रोकने का दावा कर रहा है

 

लोकसभा चुनाव के लिए समय कम है, उत्तराखँड में तमाम राजनीतिक दल चुनाव को जीतने की तैयारियों में लगे हुए हैं। विपक्षी दल एकजुटता के साथ भाजपा के जीत के रथ को रोकने का दावा कर रहे हैं। वहीं उत्तराखंड में भी कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दल एकजुटता के साथ चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे है। हांलाकि विपक्षी दलों की चुनौती कम नहीं हो रही है। विपक्षी दल एक तरफ जहां कमजोर आर्थिक स्थिति से जुझ रहे हैं.. तो वहीं इसका असर विपक्ष के कार्यक्रमों पर भी देखने को मिल रहा है…वहीं दूसरी तरफ भाजपा रोजाना चुनावी कार्यक्रम आयोजित कर रही है। महिला सम्मेलन, गांव चलो अभियान के साथ ही तमाम कार्यक्रम चलाकर चुनाव में जीत का दावा कर रही है। वहीं कांग्रेस समेत तमाम विपक्षी दलों का दावा है कि वह जनहित से जुड़े मुद्दों को लेकर संघर्ष कर रहे है इसी के तहत कांग्रेस ने राज्य में अग्निवीर योजना को लेकर अभियान चलाकर राज्य के युवाओं को आगाह करने का फैसला लिया है…जबकि भाजपा का कहना है कि कांग्रेस के अभियान से जनता पर कोई असर नहीं पड़ता.. पार्टी अबकी बार 400 पार के नारे को साकार करने की तैयारियों मे लगी हुई है।  

आपको बता दें कि राज्य की पांचों लोकसभा सीटों पर बीजेपी का कब्जा है..वहीं एक बार फिर भाजपा जीत की हैट्रिक को लगाने की तैयारी कर रही है। इसके तहत सांगठनिक कार्यक्रमों के साथ ही प्रदेशभर में मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के रोड शो आयोजित किए जा रहे हैं। जिसमें बड़ी संख्या में भीड देखने को मिल रही है। वहीं चुनाव से पहले राज्य में कई केंद्रीय नेताओं का भी दौरा तय है। बताया जा रहा है कि बीजेपी राष्ट्रीय अध्यक्ष जेपी नड्डा या फिर गृहमंत्री अमित शाह भी इसी माह उत्तराखंड आ सकते हैं। इसके अलावा राजनाथ सिंह, नितिन गड़करी जैसे तमाम दिग्गज केंद्रीय नेता भी उत्तराखंड दौरे पर हैं। जबकि विपक्ष को ना तो केंद्रीय नेताओं का सहयोग मिल रहा है और ना ही विपक्ष की आर्थिक स्थिति भव्य कार्यक्रम को कराने में सक्षम दिख रही है। आलम ये है कि कांग्रेस का डोनेशन अभियान भी फ्लॉप साबित हुआ है

कुल मिलाकर चुनाव के लिए समय बेहद कम है..यही वजह है कि राज्य में राजनीतिक कार्यक्रम तेज हो गए है। लेकिन चुनाव से पहले ही विपक्ष के सामने आर्थिक कमजोर स्थिति और कार्यकर्ताओं के टोटे ने विपक्षी दलों की चिंता को बढ़ा दिया है। कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, यूकेडी समेत तमाम विपक्षी दल इस समस्या से जुझ रहे हैं. वहीं भाजपा विपक्षी दलों के नेताओं से संपर्क कर उन्हें अपनी पार्टी में लाकर विपक्ष को और कमजोर कर रही है। ऐसे में सवाल ये है कि बिना धन और कार्यकर्ताओं के विपक्ष कैसे भाजपा को चुनौती दे पाएगा ये अपने आप में बड़ा सवाल है

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