काशी में जगमगाएंगे लाखों दीप: 5 नवंबर को मनाई जाएगी देव दीपावली, गंगा तटों पर उतरेगा स्वर्ग सा नज़ारा

KNEWS DESK- काशी नगरी एक बार फिर जगमगाने को तैयार है। कार्तिक पूर्णिमा के शुभ अवसर पर इस बार देव दीपावली का पर्व 5 नवंबर को पूरे भव्यता और श्रद्धा के साथ मनाया जाएगा। मान्यता है कि इस दिन देवता स्वयं पृथ्वी पर उतरकर मां गंगा की आरती करते हैं, इसलिए इसे “देवताओं की दिवाली” भी कहा जाता है।

द्रिक पंचांग के अनुसार-

पूर्णिमा तिथि प्रारंभ- 4 नवंबर, रात 10:36 बजे

पूर्णिमा तिथि समाप्त– 5 नवंबर, शाम 6:48 बजे

देव दीपावली पूजन का शुभ मुहूर्त- शाम 5:00 बजे से 7:50 बजे तक (कुल 2 घंटे 35 मिनट)

इस अवधि में दीपदान, पूजन और गंगा आरती करना विशेष रूप से शुभ माना गया है।

देव दीपावली सिर्फ दीपों का त्योहार नहीं, बल्कि अंधकार पर प्रकाश की विजय और अहंकार पर भक्ति की जीत का प्रतीक है। यह पर्व हमें यह संदेश देता है कि जब जीवन में श्रद्धा, भक्ति और सेवा का दीप जलता है, तभी सच्चा प्रकाश फैलता है।

धार्मिक मान्यता के अनुसार, यह पर्व भगवान शिव की त्रिपुरासुर दैत्य पर विजय की स्मृति में मनाया जाता है। इसी कारण इसे त्रिपुरारी पूर्णिमा या त्रिपुरोत्सव भी कहा जाता है।

देव दीपावली की शाम को वाराणसी के सभी 84 घाट लाखों मिट्टी के दीपों से जगमगा उठते हैं। अस्सी घाट, दशाश्वमेध घाट, राजेंद्र प्रसाद घाट और मणिकर्णिका घाट पर दीपों की अनगिनत पंक्तियाँ एक अद्भुत दृश्य प्रस्तुत करती हैं। ऐसा लगता है मानो धरती पर स्वयं स्वर्ग उतर आया हो।

इस दिन गंगा स्नान, दीपदान और दान-पुण्य का अत्यंत महत्व है। शास्त्रों के अनुसार, “जो भक्त कार्तिक पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान करता है और दीपदान करता है, उसे सौ गुना फल प्राप्त होता है।” कहा जाता है कि इस दिन गंगा में दीप प्रवाहित करने से समस्त पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मोक्ष की प्राप्ति होती है।