रिपोर्ट: अमित शर्मा
कानपुर- आईआईटी कानपुर में लगातार हो रही आत्महत्या से छात्र-छात्राओं में रोष देखने को मिल रहा है। एक पीएचडी छात्रा की आत्महत्या के बाद आईआईटी कानपुर के छात्रों ने परिसर के एल-20 मैदान में एक विरोध प्रदर्शन किया, जिसमें पीएचडी और मास्टर दोनों कार्यक्रमों में अनुसंधान थीसिस की मूल्यांकन प्रक्रिया में महत्वपूर्ण बदलाव की मांग की गई।
आईआईटी कानपुर में गुरुवार को पीएचडी छात्रा प्रियंका जायसवाल ने फांसी लगाकर आत्महत्या कर ली थी। संस्थान में 9 दिन के अंदर दूसरी घटना व 30 दिनों के अंदर यह तीसरी आत्महत्या की घटना है।
प्रदर्शनकारी छात्रों ने मौजूदा संकाय फीडबैक प्रणाली में व्यापक बदलाव की वकालत की। उन्होंने “आपसी जवाबदेही, एसआरएस पद्धति के निहितार्थों में पारदर्शिता और छात्र विश्वास के लिए बेहतर संचार” की आवश्यकता पर जोर दिया। इसके साथ ही छात्रों ने आईआईटी कानपुर डॉक्टोरल मॉनिटरिंग कमेटी के आधार पर एक ‘मास्टर मॉनिटरिंग कमेटी’ (एमएमसी) के निर्माण का प्रस्ताव रखा।
अपनी मांगों की सूची में, छात्रों ने आईआईटी कानपुर प्रशासन से अनिवार्य भागीदारी के साथ प्रति सेमेस्टर दो बार बाहरी संगठनों के माध्यम से संकाय संवेदीकरण सत्र आयोजित करने का आग्रह किया।
विरोध प्रदर्शन का निर्णय आईआईटी कानपुर के छात्रों की सीनेट की एक आपात बैठक के दौरान किया गया, जो हाल ही में 30 दिनों के अंदर तीन छात्रों की आत्महत्या से प्रेरित था। सीनेट ने छात्र निकाय को “परिसर में छात्रों की भलाई और सर्वांगीण कल्याण के सभी पहलुओं पर समग्र चर्चा” पर ध्यान केंद्रित करने का निर्देश दिया।
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