रिपोर्ट – सिद्धार्थ द्विवेदी
हमीरपुर – उत्तर प्रदेश के हमीरपुर जिले में बदहाल स्वास्थ्य सेवाओं के चलते आज एक और मासूम मौत के गाल में समा गया है जहां सांस नली में सेब का टुकड़ा फंसने से दस माह के मासूम बेटे की मौत से बुरी तरह से टूटे मां-बाप बच्चे का शव लेकर सीएचसी गेट पर बैठ गए।जिनका न तो डॉक्टरों पर आरोप और न ही किसी किस्म का गुस्सा, सिर्फ मासूम बच्चों को बचाने के लिए सिस्टम में सुधार की गुहार लगा रहे हैं। पिता का कहना है कि डॉक्टरों ने कोशिश की, फिर बच्चे को उरई मेडिकल कॉलेज रेफर किया, लेकिन वहां पहुंचने से पूर्व मासूम की सांसें थम गई। मां-बाप और परिजन सीएचसी गेट पर डटे हैं और डीएम को बुलाने की मांग कर रहे हैं|
स्टूमेंट का अभाव बताते हुए मेडिकल कॉलेज किया रिफर
पूरी घटना राठ कोतवाली इलाके की है जहां के खुशीपुरा मोहल्ला निवासी संजय सोनी के 10 माह के बेटे पीकू के गले में सेब का टुकड़ा फंस गया था। बच्चे को सांस लेने में दिक्कत होने पर उसकी हालत खराब देख मां-बाप उसे लेकर सीएचसी भागे, यहां ड्यूटी पर मौजूद मिले डॉ.कुलदीप ने बच्चे के गले में फंसा सेब का टुकड़ा निकालने की कोशिश की, लेकिन कामयाबी नहीं मिल सकी। इस कोशिश में कुछ और वक्त निकल गया। जिससे बच्चे की नब्ज टूटती जा रही थी। डॉक्टर ने उसे स्टूमेंट का अभाव बताते हुए मेडिकल कॉलेज उरई रेफर कर दिया।जिसे परिजन लेकर उरई भागे, लेकिन बीच रास्ते बच्चे की सांसें थम गई।
शव लेकर अनशन पर बैठे परिजन
पीकू की मौत से पिता संजय और मां सोनिया बुरी तरह से टूट गए और बदहाल स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार लाने को लेकर बच्चे के शव को लेकर सीएचसी पहुंच गए और बगैर किसी हंगामे के गेट पर शव लेकर अनशन पर बैठ गए। जिससे जिला प्रशासन में हड़कंप मच गया मौके पर पहुंचे एसडीएम और सीओ ने परिजनों को सांत्वना देते हुए मनाने की कोशिश की, लेकिन पिता डीएम को मौके पर बुलाने की मांग करने लगे।
दिन में लूट रात में इमरजेंसी होने पर भी दरवाजा तक नहीं खोलते
मासूम के पिता का कहना है कि डॉक्टरों ने बच्चे को बचाने की कोशिश की, लेकिन सुविधाओं के अभाव में जान नहीं बचा सके। उन्हें सिर्फ डीएम को बुलाकर यह बताना है कि यह कैसा सिस्टम है, जहां मासूम बच्चों की जिंदगी बचाने तक के इंतजाम नहीं है, इसलिए वह यहां बच्चे के शव को लेकर बैठे हैं। पिता का कहना है कि राठ कस्बे के प्राइवेट अस्पताल दिन में तो मरीजों को जमकर लूटते हैं लेकिन रात में कोई इमरजेंसी हो जाए तो अस्पताल का दरवाजा तक नहीं खोलते हैं।
बदहाल सिस्टम ने इस दंपति को दस माह के अंदर दूसरा बड़ा दुख
संजय सोनी और उसकी पत्नी सोनिया यूं ही नहीं टूटे हैं बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं के बदहाल सिस्टम ने इस दंपति को दस माह के अंदर दूसरा बड़ा दुख पहुंचाया है। दस माह पूर्व संजय की दो साल की बेटी लाडो भी पेट दर्द के बाद सीएचसी में इलाज के अभाव में चल बसी थी। बच्ची की मौत के कुछ दिन बाद बच्चे पीकू का जन्म हुआ था, जो अब इसी सीएचसी के बदहाल सिस्टम की भेंट चढ़ गया। दस माह में दो मासूम बच्चों को खोने वाले दंपति अब दूसरों की गोद न उजड़े, इसलिए सीएचसी गेट पर दुधमुंहे का शव लेकर बैठे हैं और अफसरों से व्यवस्था परिवर्तन की गुहार लगा रहे हैं।जिसके बाद मौके पर पहुंचे एडीएम औऱ सीएमओ को पीड़ित पिता ने शिकायती पत्र सौपते हुए सीएचसी में बेहतर चिकित्सा की व्यवस्था कराए जाने की मांग की है।
प्रकरण संज्ञान में आने पर गठित की गई जांच कमेटी
मासूम की मौत के बाद परिवार के अनशन में बैठे होने की जानकारी मिलने पर मौके पर पहुंचे अपर जिलाधिकारी अरुण कुमार मिश्रा ने बताया कि प्रकरण संज्ञान में आने पर जांच कमेटी गठित की गई है| जिसमें सभी तथ्यों का परीक्षण होगा और जो कमियां यहां बताई गई है उसके लिए सीएमओ को निर्देश दिये गए हैं साथ ही कमियों को दूर करने के लिए चाहे वह शासन स्तर की हो या जिला स्तर की उन्हें दूर करने के लिए प्रयास किया जाएगा।