हरक पर भारी, ED की छापेमारी

उत्तराखंड डेस्क रिपोर्ट, लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी दलों के नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. ईडी की कार्रवाई झारखंड, दिल्ली के बाद अब उत्तराखंड भी पहुंच गई है. दरअसल प्रवर्तन निदेशालय ने मनी लॉन्ड्रिंग मामले में कांग्रेस नेता और पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ हरक सिंह रावत के कई ठिकानों पर छापेमार कार्रवाई की है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक उत्तराखंड, दिल्ली और चंडीगढ़ में हरक के कई ठिकानों पर तलाशी ली गई है। बता दें, कि हरक सिंह रावत ने साल 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा सरकार में राज्य के वन मंत्री के रूप में हरक सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान, रावत और उनके कुछ विभागीय अधिकारियों पर टाइगर सफारी परियोजना के तहत कॉर्बेट पार्क के पाखरो रेंज में अवैध पेड़ काटने और निर्माण में शामिल होने से संबंधित गंभीर आरोप लगे।भारतीय वन सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि पाखरो बाघ सफारी के लिए 163 की अनुमति के खिलाफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे। चुनाव से ठीक पहले ईडी की कार्रवाई के बाद राज्य में सियासत गर्मा गई है. विपक्ष का आरोप है कि मोदी सरकार जांच एजेंसियों का दुरुपयोग कर विपक्ष के नेताओं का उत्पीड़न कर रही है..जबकि सत्ता पक्ष का कहना है कि जांच एजेंसियां स्वतंत्र है. लेकिन सरकार न खाऊंगा ना खाने दूंगा की नीति पर काम कर रही है.. ऐसे में जो भी दोषी होगा उसके खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी. सवाल यह है कि क्या सरकार ED और सीबीआई का उपयोग कर भ्रष्टाचार को मिटाना चाहती है या फिर विपक्षी नेताओं को

चुनाव से पहले ED का एक्शन लगातार जारी है. झारखंड में पहले ED ने जमीन घोटाला मामले में पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन की मुश्किलें बढ़ाई इसके बाद अब ED ने अपनी कार्रवाई को तेज करते हुए उत्तराखंड में भी छापे मार कार्रवाई शुरू कर दी है. जानकारी के मुताबिक कांग्रेस नेता और पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत के ठिकानों पर ED की छापेमारी हुई है बता दे की उत्तराखंड के पूर्व मंत्री हरक सिंह रावत से जुड़े कथित वन घोटाला मामले में दिल्ली चंडीगढ़ और उत्तराखंड के कई स्थानों पर (ईडी) ने छापेमारी की है। ईडी की यह छापेमारी दो अलग-अलग मामलों में चल रही है। एक मामला फॉरेस्ट लैंड से जुड़ा है जबक‍ि दूसरा एक अन्य जमीन घोटाला है। इस मामले में पिछले साल विजिलेंस विभाग ने हरक सिंह के खिलाफ कार्रवाई की थी। वही ईडी की इस कार्रवाई के बाद उत्तराखंड में सियासत गर्मा गई है

आपको बता दे की हरक सिंह रावत ने 2022 के उत्तराखंड विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा छोड़ दी थी और कांग्रेस में शामिल हो गए थे। भाजपा सरकार में राज्य के वन मंत्री के रूप में हरक सिंह रावत के कार्यकाल के दौरान, रावत और उनके कुछ विभागीय अधिकारियों पर
टाइगर सफारी परियोजना के तहत कॉर्बेट पार्क के पाखरो रेंज में अवैध पेड़ काटने और निर्माण में शामिल होने से संबंधित गंभीर आरोप लगे।भारतीय वन सर्वेक्षण ने अपनी रिपोर्ट में दावा किया कि पाखरो बाघ सफारी के लिए 163 की अनुमति के खिलाफ कॉर्बेट टाइगर रिजर्व में 6000 से अधिक पेड़ अवैध रूप से काटे गए थे। जिसके बाद से लगातार केंद्रीय जांच एजेंसियां इस मामले में कार्रवाई कर रही है. वहीं मौजूदा समय में हरक सिंह रावत हरिद्वार लोकसभा सीट से चुनाव की तैयारियों में जुटे हुए है उन्हें हरिद्वार सीट से कांग्रेस की चुनाव लड़ने की भी तैयारी थी.. हालांकि चुनाव से पहले ही ED की इस कार्रवाई पर विपक्ष ने सत्ता पक्ष पर हरक सिंह रावत से डरने का आरोप लगाया है

कुल मिलाकर लोकसभा चुनाव से ठीक पहले विपक्षी दलों के नेताओं की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही है. ईडी की कार्रवाई झारखंड, दिल्ली के बाद अब उत्तराखंड भी पहुंच गई है. सवाल यह है की क्या देश में भ्रष्टाचार मिटाओ या फिर विपक्ष मिटाओ का अभियान चल रहा है, यदि विपक्षी नेताओं ने भ्रष्टाचार किया हैं तो फिर जांच क्यों ना की जाए, क्या मोदी सरकार की ED और सीबीआई का उपयोग कर विपक्ष को मिटाने की साजिश है ऐसे अनगिनत सवाल अपने जवाब की तलाश में है 

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