हरीश रावत ने उठाया टिहरी विस्थापितों का मुद्दा

उत्तराखंड,देहरादून : पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने आज देहरादून स्थित कांग्रेस मुख्यालय में पत्रकार वार्ता करी। जिसमें उन्होंने टिहरी विस्थापितों के भूमिधर अधिकार न मिलने का मुद्दा उठाया। उन्होंने कहा है कि राष्ट्र की प्रगति और भारत रूस मैत्री का जीवांत स्तंभ टिहरी डैम उत्तराखंड का अभिमान है। आज एक विकसित उत्तराखंड की हमारी योजना का बड़ा आधार है और इस समय भी राज्य की अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान दे रहा है। यह सब संभव हुआ है टिहरी की महान जनता ने सामूहिक त्याग से, अपने सुंदर घरों, अति उपजाऊ अपनी भूमि व अतुलनीय संस्कृति को राष्ट्र व समाज को समर्पित कर विस्थापित होना स्वीकार किया। जहां-जहां ये विस्थापित भाई-बहन बसे, आज भी कई कठिनाइयों को झेल रहे हैं और इनसे किए गए कई वादे भी अभी पूरे नहीं हुए हैं। इन विस्थापितों में सबसे चिंताजनक स्थिति हरिद्वार के पथरी क्षेत्र के भाग 1, 2, 3, 4, में बसे भाई-बहनों को है। 42 वर्षों बाद भी यह लोग जिस भूमि में बसे हैं, उसका भूमिधर का अधिकार इन्हें प्राप्त नहीं है। यह लोग जोते जा रहे खेतों व अपने घरों के मालिक नहीं हैं। इन्हें बैंकों सहित कोई भी ऋण सुविधा भूमि के आधार पर लेने का अधिकार नहीं है। स्वामी होते हुए भी स्वामित्व से वंचित हैं। इन्हें सामान्य ग्राम वासी को प्राप्त कोई हक-हकूक उपलब्ध नहीं है।

वर्ष 2016 में तत्कालीन सरकार ने मालिकाना हक देने के निर्देश जारी किए और पत्रावली तैयार करवाई गई। सत्ता परिवर्तन के साथ यह प्रक्रिया ठंडे बस्ते में डाल दी गई। गैरसैंण में हुए विधानसभा सत्र में स्थानीय विधायक द्वारा इस मामले को विधानसभा संचालन नियमावली के नियम 58 के अंतर्गत उठाये जाने पर सरकार ने इस मामले में सकारात्मक कदम उठाने का आश्वासन दिया। तद् पश्चात हरिद्वार जनपद के विधायकों की बैठक में राज्य के माननीय मुख्यमंत्री जी ने इस हेतु आवश्यक पत्रावली तैयार करने के आदेश दिए। जिस पर 8 माह बाद भी कोई कार्यवाई नहीं हुई है।

इस दौरान वन विभाग द्वारा करवाए गए एक तथाकथित सर्वेक्षण में टिहरी विस्थापितों के पास आवंटित 912 एकड़ भूमि के बजाए 968 एकड़ भूमि पर कब्जेदार बताए जाने के बाद सारे मामले को उलझाया जा रहा है। 23 हैक्टेयर भूमि को लेकर सारी भूमि धरी प्रक्रिया को उलझाने के प्रयास किये जा रहा हैं जो निंदनीय है, पूर्णतः अस्वीकार्य है। इस सारी भूमि पर वर्ष 2015-16 में घेरवाड़, दीवाल बंदी हो चुकी है।

हमारी मांग है कि माननीय मुख्यमंत्री जी, पथरी के विस्थापितों को भूमि धरी अधिकार देने के लिए मंत्रिमंडल की बैठक बुलाकर इस प्रकरण का सकारात्मक निस्तारण करें।

(२) वन विभाग द्वारा करवाए जा रहे सर्वेक्षण व उसके निष्कर्षों को वापस लिया जाए।

(३) विस्थापितों से किए गए वादों के पुनर्विक्षण हेतु मंत्री महोदयान के साथ टीएचडीसी एवं पुनर्वास निदेशक की एक संयुक्त कमेटी गठित हो। उन्होंने कहा कि इस मुद्दे को लेकर एक फरवरी को गांधी पार्क पर मोन व्रत रखेंगे।

About Post Author